Header Ads Widget

Responsive Advertisement

स्व-निखार:उम्र बढ़ने पर महिलाएं ख़ुद के प्रति लापरवाह होती जाती हैं जिसका असर उनके चेहरे के साथ-साथ शरीर पर भी दिखता है, इसलिए थोड़ी परवाह अपनी भी करना ज़रूरी है

 

  • उम्र का असर आपके मन और शरीर पर एक दिन में नहीं दिखता। कई बरसों की लापरवाही कभी उदासी, कभी वज़न की शक्ल में नज़र आने लगती है। लेकिन जब जागो, तभी सवेरा। तो, आज से ही अपनी दिनचर्या में जोड़िए कुछ बातें...

हम में से कितने ही लोग ऐसे होते हैं, जो उम्र के असर को देखते रहते हैं, लेकिन समझ नहीं पाते कि इसका हल कहां ढूंढे। दरअसल, उम्र के साथ ख़ुद के प्रति लापरवाह रवैया और सजगता की कमी असल कारण हैं। ज़िंदगी आपकी है, हल भी आपके ही पास हैं।

कम्फर्ट ज़ोन से निकलिए
आपकी बोझिल और रोज़ एक–सी गुज़रने वाली ज़िंदगी में छोटे-बड़े बदलाव कीजिए। जैसे, खाने के बाद टहलते हुए पास वाले आइसक्रीम पार्लर तक जाइए और आइसक्रीम का आनंद उठाइए। कभी दोपहर में अकेले किसी कॉफी हाउस में कुछ वक़्त गुज़ारिए। नए और अजनबी लोगों से बात कीजिए। अपने कम्फर्ट ज़ोन से निकल कर थोड़ा बाहर की ओर निकलिए।

- कमज़ोर पड़ें, तो क्या...?
आपने तय तो कर लिया कि नएपन की ओर बढ़ेंगे, लेकिन कई बार ऐसे कमज़ोर पल आ जाते हैं, जब दिल चाहता है कि फिर पुराने ढर्रे पर लौट जाएं। ऐसे पलों के लिए तैयार रहिए। ख़ुद पर थोड़ा सख़्ती या लगन को बनाए रखने पर ज़ोर रखिए। उन तमाम सूत्रों को हटा दें, जो कमज़ोर कर सकते हैं, जैसे जंक फूड मंगाने वाले नंबर, मिठाई का सामान आदि।

- तंदुरुस्ती का रखें ख़याल
इस दौर में कोई ही होगा, जिसके जीवन में कोई तनाव, कोई चिंता नहीं हो। ज़ाहिर है, कुछ बातें होगीं, जो आपके मन में उलझनेंे बुनती रहती होंगी। लेकिन ज़िंदगी को दूसरे नज़रिए से देखना शुरु करना सीखिए। वे बातें भी आपके इर्द-गिर्द ही हैं, जिनसे आपको ख़ुशी मिलती हो। सकारात्मकता की ओर मुड़ें, और उन सब के प्रति आभार प्रकट करें, जो आपको बेहतर महसूस कराने में मददगार हो। चाहें, तो अपनी डायरी में रोज़ कम से कम एक ऐसी बात का ज़िक्र करें, जो आपको उत्साह से भर देती हो।

- किसी से ना कहना
किसी को मत बताइए कि आपने अपनी ज़िंदगी को नए सिरे से संवारने की कोशिशें शुरू की हैं। पहला फायदा तो यह है कि लोग आपको देखकर अटकलें लगना शुरु नहीं करेंगे कि कोई बदलाव दिख भी रहा है या नहीं। दूसरे, जब अनजाने ही कोई आपमें दिख रहे सकारात्मक बदलाव की ओर संकेत करेगा, तो आपको ख़ुद पर और अपने नए रास्तों पर पूरा यक़ीन आ जाएगा। इसके बाद आप और कुछ नया आज़माने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाएंगी।

- चंद कोशिशें ऐसी करें
अपनी ख़ुशी के लिए भी कुछ कोशिशें कीजिए और यक़ीनन ये कवायदें आपको ही करनी होगी। नई भाषा या कोई खेल या तैराकी में रुचि लेने से जहां एक नया कौशल सीखने का मौका मिलेगा, वहीं आप ख़ुद के सामने सीखने की नई चुनौतियां रख पाएंगी, जो व्यक्तित्व निखार के लिए उत्तम रास्ता है।

- माइंडफुलनेस
जीवन में ढर्रे पर हम इसलिए भी चलने लगते हैं क्योंकि जो रोज़ करना ही पड़ता है, उस पर ध्यान देना बंद कर देते हैं। यानी बेख़्याली में दिन बिताते रहते हैं। माइंडफुलनेस इसका हल है। जो भी काम करें, उस पर पूरा ध्यान देते हुए करें। हो सकता है कि रोज़मर्रा के कामों में भी कुछ नयापन खोज पाएं।

- ख़ुद का ख़्याल
अपने विकास को ख़ुद मापने की कोशिश करें। इसके लिए रोज़ शाम को या हफ्ते के अंत में अपने लिए एक वाक्य लिखें। इसमें ख़ुद के लिए शाबाशी हो सकती है, जो नया सीखा उसका ज़िक्र हो सकता है या ज़िंदगी के यूं बदल जाने पर ख़ुशी भी व्यक्त की जा सकती है। यह नाप-जोख केवल आपके लिए होगी, नितांत निजी।

- केवल आप कर सकते हैं
याद करें कि जीवन में महज़ पांच फीसदी घटनाएं स्वत: घटित होती हैं, 95 फीसदी वही होता है, जो आप तय करते हैं। इसमें आपकी पहले, प्रतिक्रियाएं और फैसले शामिल हैं। कोई आपसे ग़लत बात करता है, या कोई मुश्किल परिस्थिति आ जाती है, तो यह तो महज़ घटना हुई, इस पर हमारी प्रतिक्रिया, हमारा चुना रास्ता हम तय कर सकते हैं। इसलिए चाहें, तो किसी भी दौर में, उम्र के किसी भी पड़ाव पर हम अपनी ज़िंदगी का रीबूट का बटन दबा सकते हैं यानी एक बार फिर नए सिरे से ज़िंदगी को संवार सकते हैं।
इन सारे रास्तों का शायद आपको पहले भी पता हो, लेकिन इन पर चलने से हिचकिचा रहे हों। तो अब ख़ुद से ग़ाफिल रहना छोड़िए। ख़ुशी और ताज़गी को तलाशिए। आपके आसपास ही मिल जाएगी।

छोटे मगर कारगर उपाय भी हैं
- ग़र आप सोशल मीडिया पर बहुत ज़्यादा वक़्त्त बिताती हैं, तो डिजिटल डिटॉक्स के लिए कम से कम एक घंटा रोज़ दें। इस दौरान फोन को दूर रखें और कुछ रचनात्मक करें।
- क्या करना पसंद है आपको? एक सूची बनाइए और कम से कम एक शौक या हॉबी के लिए कुछ वक़्त निकालना शुरू करें। ख़ुद को समझाइए कि थोड़ा स्वार्थी होना बुरा नहीं है।
- देखिए, सब कुछ आप ख़ुद–ब– ख़ुद नहीं कर सकतीं। तो कुछ काम, जो मुश्किल लगें, किसी की मदद लेने में संकोच नहीं करें।
- भरपूर नींद लें। रात को देर से सोना और फिर सुबह जल्दबाज़ी में उठना आपको बीमार और बोझिल बना देता है। सात-आठ घंटे की नींद सोएं, और ताज़गी के साथ दिन की शुरुआत करें।
- हमेशा आप औरों के लिए कुछ ना कुछ नया बनाती-पकाती रही हैं। सप्ताह में कम से कम एक मर्तबा ख़ुद की पसंद का, ख़ुद के लिए पकाइए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ