Header Ads Widget

Responsive Advertisement

आज का जीवन मंत्र:जब भी कोई बात सुनते हैं तो सतर्क रहें, लापरवाही में किसी बात का गलत अर्थ समझ लेंगे तो नुकसान हो जाएगा

 

कहानी - स्वामी विवेकानंद अपने नए शिष्यों को एक कहानी जरूर सुनाते थे। वो कहानी ये थी कि किसी गांव के बाहर एक छोटी सी कुटिया थी। कुटिया में एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहता था। कुटिया के बाहर कुछ झाड़ियां भी थीं। एक दिन उन्हीं झाड़ियों में एक शेर शिकार की तलाश में आकर छिप गया।

पति ने पत्नी से कहा, ‘संध्या आने वाली है, अपना सारा काम समेट लो।’ ये बात शेर ने भी सुनी। संध्या का अर्थ होता है शाम, लेकिन शेर ने संध्या का अर्थ गलत समझ लिया। शेर ने सोचा संध्या कोई बड़ी शक्ति होगी, जिसके आने के डर से ये आदमी काम समेटने की बात कर रहा है। ये विचार आते ही डर की वजह से शेर थोड़ा और पीछे जाकर छिप गया।

उसी समय गांव के एक आदमी का गधा कहीं चला गया था। वह अपने गधे को ढूंढ रहा था। रात हो चुकी थी तो अंधेरा हो गया। गधे को ढूंढते-ढूंढते वह आदमी गांव के बाहर उस कुटिया के पास पहुंच गया। उसने देखा कि झाड़ियों के पीछे कोई छिपा हुआ है।

वह आदमी झाड़ियों के पास गया और जोर से एक डंडा मारा। डंडा शेर को लगा, लेकिन उस आदमी ने सोचा ये गधा है। आदमी ने शेर के ऊपर अपना सामान रखा और दो डंडे और मार दिए। शेर को लगा कि शायद यही संध्या है। डरा हुआ शेर आदमी के पीछे-पीछे उसका सामान उठाकर चलने लगा। रास्ते में एक और शेर आ गया।

दूसरे शेर ने छिपकर देखा कि उसके मित्र की ये हालत कैसे हो गई। उसने डरे हुए शेर से इसकी वजह से पूछी। पहले शेर ने कहा, ‘संध्या आ चुकी है, ये बहुत शक्तिमान है। इसके डर से सभी इंसान अपना काम और सामान समेट रहे हैं। इसने मुझे डंडे भी मारे हैं। इसीलिए मैं डर गया हूं।’

दूसरे शेर ने कहा, ‘तुम गलत बात से डर रहे हो। ये इंसान है और तुम्हें गधा समझकर डंडे मार रहा है। जबकि तुम शेर हो। तुमने संध्या का गलत अर्थ समझ लिया है।’

सीख - हमें किसी भी बात को सावधानी से सुनना चाहिए। अगर सुनते समय लापरवाही करेंगे तो किसी भी बात का गलत अर्थ समझ लेंगे। इससे नुकसान हो सकता है। अधूरी और गलत जानकारी हमारे लिए परेशानियां बढ़ा देती है। इसीलिए सोच-समझकर किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ