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मालवा की माटी से रुखसत हो रहा शरबती गेहूं, दूसरी किस्मों की ओर किसानों का रुख


उज्जैन । अपनी मिठास, पौष्टिकता और चमक के लिए प्रसिद्ध शरबती गेहूं मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र की मिट्टी से रुखसत हो रहा है। बीते पांच साल के आंकड़े बता रहे हैं कि उज्जैन जिले में इसका रकबा लगातार कम हुआ है। पांच वर्ष पूर्व 70 हजार हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्र में इसका उत्पादन होता था, मगर इस साल यह आंकड़ा केवल 10 हजार हेक्टेयर पर आ गया है। किसानों ने हर्षिता और पूर्णा किस्म के गेहूं का उत्पादन करना शुरू कर दिया है।


उनका कहना है कि शरबती की तुलना में ये किस्में अधिक उत्पादन वाली हैं। गेहूं उत्पादन के लिए अलग पहचान रखने वाले उज्जैन जिले में रबी सीजन के दौरान 90 फीसद क्षेत्र में गेहूं की बोवनी की जाती है। शेष 10 फीसद क्षेत्र में चना व अन्य फसलों की बुवाई होती है।


एक समय था जिले की काली मिट्टी में शरबती गेहूं की बंपर पैदावार हुआ करती थी। उज्जैन मंडी से ग्रेडिंग वाला शरबती गेहूं मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे शहरों में पांच हजार रुपये क्विंटल तक बिक जाता था। किसानों को भी मंडी नीलामी में 2500 से 3000 रुपये क्विंटल के भाव मिल जाते थे।







वर्तमान में मंडी में शरबती गेहूं की आवक नहीं के बराबर है। बेरुखी की यह वजह -किसान रामसिंह पटेल बताते हैं शरबती गेहूं नाजुक होता है। मौसम की मार और हार्वेस्टर आदि मशीनों से कटाई के दौरान फसल को नुकसान पहुंचता है। इसे पानी की भी अधिक जरूरत होती है। इतनी देखभाल के बावजूद भी अपेक्षित मुनाफा नहीं होता।


इसलिए बदलाव


शरबती के विकल्प में हर्षिता और अन्य किस्म के गेहूं आ गए। इनका उत्पादन प्रति हेक्टेयर शरबती से अधिक है। शरबती का उत्पादन 20 क्विंटल प्रति हेक्टयर माना जाता है। अन्य किस्म 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टयर तक उत्पादन देती हैं। साथ ही बीते कुछ वर्षों में अच्छी बरसात के कारण किसान ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों की उत्पादन कर रहे हैं। शरबती का रकबा कम होने का यह भी एक कारण है।







सीजन के दौरान इसके भाव 3000 से लेकर 3200 रुपये क्विंटल के बीच रहते हैं। वहीं हर्षिता आदि किस्म के गेहूं के भाव 2800 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल मिल जाते हैं।


कृषि विज्ञानी रेखा तिवारी बताती हैं कि हर्षिता आदि गेहूं शरबती का बेहतर विकल्प है। यह पौष्टिक भी हैं और स्वाद में शरबती जैसा ही है।


नई किस्मों की भरमार


कृषि सहायक उपसंचालक कमलेश राठौर ने बताया कि खेती को लाभ को सौदा बनाने के लिए कृषि विज्ञानियों ने कई प्रजातियों के गेहूं के बीज इजाद कर लिए हैं। इससे उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता भी बढ़ी है। इस बार जिले में लोकवन, पूर्णा, हर्षिता, तेजस्व तथा पोषण किस्म का गेहूं बोया गया है। इनका उत्पादन 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होने की संभावना है।


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