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पर्यावरण परियोजनाओं की ओर बढ़ते कदम:जलवायु के अनुकूल प्रोजेक्ट में 2.68 लाख करोड़ रुपए लगे



  • इलेक्ट्रिक कारों के साथ निवेशकों ने कृषि टेक्नोलॉजी में भी पैसा लगाया

  • ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी में निवेश पर सालाना रिटर्न 20% हुआ


  • पिछले कुछ समय से निवेशकों का ध्यान जलवायु को बेहतर रखने से जुड़ी टेक्नोलॉजी में पैसा लगाने पर बढ़ा है। लगभग सभी देशों ने ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने के लिए लक्ष्य तय किए हैं। इसका प्रभाव निवेश पर दिखाई पड़ रहा है। 2019 में निवेशकों ने ऐसी टेक्नोलॉजी में 2.68 लाख करोड़ रुपए लगाए हैं। रिसर्च फर्म क्लीनटेक ग्रुप के अनुसार 2015 में इस क्षेत्र में केवल 1.26 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ था। आधा पैसा अमेरिका, कनाडा की कंपनियों में लगा है। चीन में 15 से 30% और यूरोप में 15% लगाया गया है।


    निवेशक केवल एनर्जी और ट्रांसपोर्ट क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं। ऊर्जा के स्वच्छ साधनों में पैसा लगाने की शुरुआत वर्ष 2000 के आसपास हुई थी। अमेरिका और कुछ हद तक यूरोप में इस क्षेत्र में पूंजी लगाई गई थी। कई प्रोजेक्ट बंद हो गए। वेंचर कैपिटल कंपनियों ने सोलर पैनल, बायो ईंधन में पैसा लगाया। उस समय 1.85 लाख करोड़ रुपए में से आधा पैसा डूब गया था। जाहिर, पूंजी निवेश बंद हो गया था। अब फिर निवेश ने गति पकड़ी है। इस बार निवेशक कई तरह की स्वच्छ टेक्नोलॉजी में पैसा लगा रहे हैं। आधा पैसा इलेक्ट्रिक कार निर्माताओं के खाते में गया है।


    2004 में एलन मस्क ने टेस्ला में 48 करोड़ रुपए लगाए थे। अब उसका बाजार मूल्य 28.70 लाख करोड़ रुपए है। निवेशक अब इलेक्ट्रिक कारों तक ही सीमित नहीं हैं। निवेशकों का ध्यान कृषि टेक्नोलॉजी पर भी है। शाकाहारी प्रोटीन बनाने वाली 29812 करोड़ रुपए मूल्य की इम्पॉसिबल फूड्स में माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स और गूगल ने पैसा लगाया है। उसकी प्रतिद्वंद्वी बियॉण्ड मीट कंपनी का मूल्य 74530 करोड़ रुपए हो गया है।


    बिजली स्टोर करने वाले सॉफ्टवेयर पर भी निवेशकों का ध्यान है। कंसल्टेंसी पीडब्ल्यूसी का अनुमान है, 2013 और 2019 के बीच दस में से एक बड़ा वेंचर कैपिटल सौदा सॉफ्टवेयर कंपनियों से संबंधित था। सोलर पैनल और बैटरियों की कीमत में क्रमश: 82% और 87% कमी होने से निवेशक आगे बढ़े हैं। इस बीच अधिकतर सरकारों ने अगले पांच वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों पर रिसर्च खर्च दोगुना करने का इरादा जताया है।


    अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार पिछले साल दुनियाभर में ग्रीन एनर्जी रिसर्च पर सरकारों ने रिकॉर्ड एक करोड़ 90 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस मद में खर्च लगातार तीसरे वर्ष बढ़ा है। बड़ी कंपनियां भी अब ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने की टेक्नोलॉजी में अधिक पैसा लगाने लगी हैं। क्लीन टेक ग्रुप के अनुसार 2010 के मुकाबले बड़ी कंपनियां की भागीदारी पिछले साल 16% बढ़ी है। ग्रीन एनर्जी कंपनियों का बाजार मूल्य भी लगातार बढ़ रहा है। 2014 से 2018 के बीच स्वच्छ ऊर्जा टेक्नोलॉजी में निवेश पर सालाना रिटर्न 20% मिला।




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