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'पाताल लोक' से जुड़ी सबसे गहरी झील नेपाल में, जानिए यहां के 15 चौंकाने वाले फैक्ट्स


नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के दशहरे  के शुभकामना संदेश में भारत के तीन क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दिखाने वाले हालिया मानचित्र (Map) के बजाए नेपाल के पुराने मानचित्र (Old Map_ का ही प्रयोग किया है. हालांकि इससे पहले जून में नेपाल की संसद (Parliament) ने देश के नए मानचित्र को मंजूरी दी थी जिसमें कालापानी (Kalapani), लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया था जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ (Pithoragarh) का भाग है. ओली ने शुक्रवार को ट्विटर (Twitter) पर नेपाल के लोगों को विजयदशमी की शुभकामनाएं दी.

इसके बाद से ही फेसबुक (Facebook) और ट्विटर समेत सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली ने भारत की खुफिया एजेंसी ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (RAW) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ मुलाकात के बाद जानबूझकर संशोधित मानचित्र हटा दिया. बहरहाल सच्चाई जो भी हो लेकिन भारत और चीन (China) जैसी बड़ी वैश्विक ताकतों के बीच बसने वाला यह देश नेपाल अक्सर विश्व मानचित्र पर उतनी तवज्जो नहीं पाता, जितनी इसे मिलनी चाहिये. दरअसल नेपाल (Nepal) कई सारे अनोखे अनुभवों की खान है. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं नेपाल की ऐसी ही खासियतें जो इसे विश्व का एक अनोखा देश बनाती हैं. और कई मायनों में इसे दुनिया में नंबर एक (No one in the world) पर भी खड़ा करती हैं-


सबसे ऊंची पर्वत चोटियों के अलावा यहां दुनिया की सबसे गहरी झील भी है. जिसका नाम है शे फोक्सुन्डो. यह झील 475 फीट से भी ज्यादा गहरी है. दुनियाभर में कई अजूबों में से नेपाल की यह झील भी एक है. यह धऱती की सबसे गहरी झील है, इसकी गहराई इतनी ज्यादा है कि ऐसा लगता है मानो यह झील सीधे 'पाताल लोक' से जुड़ी है. इसीलिए इसे 'पाताल लोक' से जुड़ी झील भी कहा जाता है.

नेपाल कभी किसी विदेशी शक्ति का गुलाम नहीं बना इसलिए यह अपना स्वतंत्रता दिवस भी नहीं मनाता है. यह दक्षिण एशिया के सबसे पुराने देशों में से है. यह देश 2008 में एक संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र बना. इससे पहले यहां राजशाही थी.

नेपाल को दुनिया की छत कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया की दस सबसे ऊंची चोटियों में से 8 नेपाल में ही हैं. इन चोटियों में माउंट एवरेस्ट, कंजनजंघा, ल्होत्से, मकालू, चो ओयो, धौलागिरी आदि शामिल हैं. दरअसल हिमालय पहाड़ का अच्छा-खासा हिस्सा नेपाल में पड़ता है.

नेपाल में विश्व विरासतों का बड़ा जमावड़ा है. कई लोगों को गलतफहमी होती है कि नेपाल बहुत छोटा सा देश है, जो सिर्फ पर्वतारोहण के लिए जाना जाता है. ऐसे लोगों की जानकारी काफी गलत है. सिर्फ इसकी राजधानी काठमांडू में ही यूनोस्को की 7 विश्व विरासत सांस्कृतिक जगहें हैं. वह भी मात्र 15 किमी की त्रिज्या के इलाके में. इसे दुनिया का जीता जागता सांस्कृतिक म्यूजियम कहा जाता है.

इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि काठमांडू की घाटी कभी एक झील हुआ करती थी. बाद में यहां से पानी बह गया और सभ्यता यहां बस गई. वैज्ञानिकों के पास ऐसा कहने के पर्याप्त तर्क भी हैं क्योंकि इस घाटी की उर्वरा शक्ति बहुत ज्यादा है.

नेपाल की धरती भी गति कर रही है. नेपाल के नीचे मौजूद इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट के बारे में माना जाता है कि वह अगले 1 करोड़ सालों में 1500 किमी का सफर तय कर एशिया के और अंदर धंस जायेगी.

यहां सबसे लंबा घास का मैदान, चितवान है. सबसे गहरी खाई, काली गंडक की खाई और सबसे ऊंचाई पर स्थित झील तिलिचो यहां पर मौजूद है. नेपाल खूबसूरती में पूरी दुनिया को टक्कर दे सकता है. दुनिया की सबसे ऊंची घाटी, अरुण घाटी भी नेपाल में है. और जिसके बारे में पूरी दुनिया जानती है, दुनिया की सबसे ऊंची चोटी 8,848 मीटर ऊंचा माउंट एवरेस्ट भी नेपाल में ही है. इसके अलावा नेपाल में येती का मिथक बहुत प्रचलित है. हिमालय में बड़े-बड़े हिममानव होने का दावा किया जाता है. कई ट्रेक्किंग पर जाने वाले लोगों ने अब तक उनके पैरों के निशान देखने का दावा किया है.

नेपाल में फूल वाले पौधों की 5980 प्रजातियां पाई जाती हैं. दुनिया के कुल पक्षी प्रजातियों का 8% नेपाल में ही है. यहां दुनिया के सबसे बड़े शलभ और मधुमक्खियां पाई जाती हैं. एशिया के एक सींग वाले गैंडे और रॉयल बंगाल टाइगर भी यहां पाये जाते हैं.

पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की तीन सबसे बड़ी नदियों के लिए वाटर रिजर्व का काम नेपाल में मौजूद हिमालय करता है. यहीं से एशिया की तीन बड़ी नदियों गंगा, ब्रह्मपुत्र और यमुना का उद्गम होता है. यहीं के बर्फ के भंडार से इन नदियों को पानी मिलता है.

जापान का झंडा बहुत सीधा-सादा है. इसमें दो त्रिकोण हैं. एक में चांद बना है और दूसरे में सूरज. जो यहां के दो प्रमुख धर्मों हिंदू और बौद्ध को दिखाते हैं. हालांकि यह नया झंडा 1962 में स्वीकारा गया था. लेकिन कहा जाता है कि इसकी डिजाइन 2000 साल पुरानी है और इसका डिजाइन हिमालय को प्रदर्शित करता है.

नेपाल बुध की जन्मभूमि है. सिद्धार्थ गौतम का जन्म कपिलवस्तु, लुम्बिनी में ईसा से 623 साल पहले हुआ था. इस जगह को भी 1997 में यूनेस्को ने विश्व विरासत का दर्जा दे दिया था.

यहां पर कोई भी धार्मिक और सांप्रदायिक दंगे नहीं होते. जबकि यहां करीब 80 अलग-अलग संप्रदायों के लोग रहते हैं और 123 भाषाएं बोली जाती हैं. हिंदू धर्म के वहां का आधिकारिक धर्म होने के बाद भी वहां कभी धार्मिक दंगे नहीं हुए. इस बात पर उन्हें गर्व भी है.

नेपाल 1846 से 1950 के बीच दुनिया से कहा रहा. इस दौरान यहां पर राणाओं का राज था. ऐसा उन्होंने किसी यूरोपीय आक्रमण से बचे रहने के लिए किया था.

काठमांडू के असली राजाओं को हिंदू किराती के नाम से जाना जाता था, जो एक मंगोल प्रजाति होती थी. बाद में यह पूरी तरह से तब हिंदू हो गया जब उत्तर भारतीय राजाओं ने वहां साल 300 में आक्रमण कर कब्जा कर लिया. तभी से इसका बुरा दौर भी शुरु हुआ और फिर साल 700 में तिब्बतियों और कश्मीरियों ने इस पर आक्रमण किया.

कायरता से मौत भली, यह नेपाल के गोरखा सैनिकों का ध्येय वाक्य है. जो अपने देश के लिए जबरदस्त साहस दिखाते हैं. ब्रिटिश शासन के दौरान वे उन्हें इतना पसंद आये थे कि 1816 से आज तक ब्रिटेन में गोरखा रेजिमेंट है.


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