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ओंकारेश्वर भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की अनुमति प्रशासन ने दे दी


ओंकारेश्वर भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की अनुमति प्रशासन ने दे दी है। अभी गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध जारी रहने से श्रद्धालु सुखदेव मुनि द्वार पर पात्र में जल, बिल्व पत्र और पुष्प डाल सकेंगे। कोरोना की वजह से करीब छह माह से इस पर प्रतिबंध लगा हुआ था। अनलॉक के बाद से ही पंडित, पुजारी और दुकानदार इसकी मांग कर रहे थे। हाल ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा को भी एक प्रतिनिधि मंडल ने मिलकर जल और बिल्व पत्र चढ़ाने की व्यवस्था शुरू करवाने की मांग की थी।


ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान के मूल स्वरूप पर जल, बेलपत्र व फूल चढ़ाना गुरुवार से शुरू हो जाएगा। पुनासा एसडीएम चंदरसिंह सोलंकी ने बताया कि श्रद्धालुओं की आस्था और पंडित तथा पुजारियों कि मांग को देखते हुए भगवान पर जल चढ़ाने की अनुमति दी गई है। सभी लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट एवं प्रशासन ने निर्णय लिया है कि 29 अक्टूबर से श्रद्धालुओं को जल अर्पित करने की अनुमति रहेगी। अभी मंदिर के अंदर प्रवेश पर प्रतिबंध होने से श्रद्धालु सुखदेव मुनि द्वार से दर्शन करेंगे। द्वार पर ही पात्र में जल डालेंगे जो पाइप के माध्यम से भगवान के मूल स्वरूप तक पहुंच जाएगा।







एसडीएम सोलंकी ने बताया कि धीरे-धीरे मंदिर में व्यवस्थाएं पूर्ववत करने का प्रयास किया जाएगा। मंदिर में अभी कोरोना के नियमों का पालन अनिवार्य रहेगा। श्रद्धालु या पंडित को मूल स्वरूप तक पहुंचने की अनुमति नहीं रहेगी। मंदिर पुजारी ही भगवान की त्रिकाल पूजा करवाने के लिए अंदर जा सकेंगे।


ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट के सहायक कार्यपालन अधिकारी अशोक महाजन ने बताया कि 20 मार्च से भगवान के मूल स्वरूप पर जल बेलपत्र व फूल अर्पित करने पर प्रतिबंध लगाया गया था। दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर में 16 जून से कोरोना नियमों के अंतर्गत दर्शन करने की अनुमति सुखदेव मुनि द्वार से दी गई थी। इसी द्वार पर पात्र में जल डलवाया जाएगा, जो भगवान के मूल स्वरूप तक पहुंच जाएगा। बेलपत्र फूल भी पात्र में ही एकत्र कर भगवान को चढ़ाए जाएंगे।


 


 


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