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मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी एमवाय अस्पताल में डेढ़ साल में नहीं बढ़ पाए 300 बेड


इंदौर,। मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी एमवाय अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर प्रशासन ने यहां बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई थी, लेकिन डेढ़ साल बाद भी यह पूरी नहीं हुई है। महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के तहत आने वाले इस अस्पताल में बेड बढ़ाने के लिए निर्माण का काम मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल ( हाउसिंग बोर्ड ) को दिया गया है। यह कार्य करीब साढ़े 5 करोड़ की लागत से होना है, अस्पताल की प्रथम मंजिल के अलावा चौथी, पांचवी और छठी मंजिल पर यह कार्य चल रहा है। काम की गति इतनी धीमी है कि डेढ़ साल में भी इसके पूरे होने का कोई ठिकाना नजर नहीं आता।


यहां ऑपरेशन थियेटर के नवीनीकरण का काम भी बहुत धीमी गति से चल रहा है। यही नहीं 50 लाख की लागत से बन रहे ऑडिटोरियम और मेडिकल ग्रीन रूम की भी हालत यही है। यह बाकी के काम लोक निर्माण विभाग (पीआईयू) को दिए गए हैं। अस्पताल प्रबंधन ने पहली बार हाउसिंग बोर्ड को कोई काम दिया है, लेकिन समय पर काम न होने से संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा भी खासे नाराज हैं।







काम में विलंब होने से हाउसिंग बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ सूचना-पत्र भी जारी हो चुके हैं। हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी कोरोना संक्रमण का बहाना बनाकर बचना चाहते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि ठेकेदार इस काम को समय पर कराने में अक्षम साबित हो रहा है। यदि बेड क्षमता बढ़ाने का काम समय पर हो जाता तो कोविड के संक्रमण के चरम पर होने के समय अन्य सामान्य मरीजों को इलाज में परेशानी नहीं होती।


 


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