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भोपाल के माथे से हटेगा कचरे का कलंक 48 साल बाद


भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल का भानपुर इलाका जहां 48 साल तक लगातार शहर का कचरा फेंका गया, अगले माह पूरी तरह कचरा मुक्त हो जाएगा। 25 मीटर ऊंचे कचरे के कई पहाड़ यहां मैदान में तब्दील हो चुके हैं। पिछले तीन साल से 24 घंटे चल रहे कचरा निष्पादन के कार्य से यह संभव हो सका है। इससे जहां नगर निगम को करीब 21 एकड़ बेशकीमती जमीन मिलेगी वहीं भानपुर से लगे आसपास के दर्जनों रहवासी इलाकों के लोगों को बदबू, प्रदूषण और संक्रमण के खतरे जैसी तमाम समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी।


भानपुर में वर्ष 1970 से जनवरी 2018 तक लगातार शहर का कचरा नगर निगम द्वारा फेंका गया। इससे यहां करीब आठ लाख टन कचरे के कई ऊंचे-ऊंचे पहाड़ तैयार हो गए। जनवरी 2018 में एनजीटी के आदेश के बाद यहां कचरा फेंकना बंद किया गया। आदमपुर में कचरा निष्पादन संयंत्र के साथ नया क्षेत्र तैयार किया गया। वहीं भानपुर में जनवरी 2018 में ही कचरे निष्पादन का काम सौराष्ट्र एन्वायरो प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सौंपा गया। 52 करोड़ के इस कार्य में कंपनी ने संयंत्र लगाकर 24 घंटे कचरे का निष्पादन शुरू किया। प्रतिदिन 450 से 500 टन कचरा निष्पादित कर अब तक 31 एकड़ जमीन कचरा मुक्त की जा चुकी है वहीं 5 एकड़ भूमि पर पड़ा करीब 20 हजार टन कचरा 30 नबंवर तक खत्म कर दिया जाएगा।







जमीन का होगा व्यावसायिक उपयोग


निष्पादन कंपनी कुल 36 एकड़ में से 21.03 एकड़ खाली जमीन निगम प्रशासन को सौंपेगी। नगर निगम की इस भूमि के व्यावसायिक उपयोग की योजना है। जिसकी रूपरेखा तैयार करने के लिए हाल ही में कंस्लटेंट नियुक्त करने के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। बता दें कि इससे पहले नगर निगम यहां ओपन ग्रीन स्पेस व अन्य निर्माण संबंधित योजना भी बना चुका है।







ऐसे हो रहा कचरे का निष्पादन


- कचरे को पहले सुखाया गया।


- प्लास्टिक व अन्य कचरा अलग-अलग किया गया।


- प्लास्टिक व पालीथिन के बड़े-बड़े ब्रिक्स बनाकर जबलपुर के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को भेजे गए।


- अन्य कचरे से प्रतिदिन करीब 150 टन जैविक खाद तैयार किया गया।


- जैविक खाद मुफ्त में वितरित की जा रही है। जिसका उपयोग नगरनिगम, वन विभाग, उद्यानिकी विभाग के अलावा शहरवासी भी कर रहे हैं।



कचरे के दुष्प्रभावों पर भी होगा अध्ययन


48 साल तक यहां फेंके गए कचरे का क्षेत्र के भूजल पर सबसे ज्यादा असर हुआ। पर्यावरणविद डा. सुभाष पांडे ने पांच साल पहले बताया था कि खंती से लगे रहवासी क्षेत्र में भूमिगत जल पीने योग्य ही नहीं बचा। पानी के उपयोग से क्षेत्रवासी कैंसर, चर्म रोग, नेत्र रोग जैसी बीमारियों का शिकार हुए। अब नगरीय प्रशासन इन तथ्यों पर अध्ययन कराएगा। पहले हर 10 दिन में खंती में आग लगने की वजह से मीथेन गैस निकलती थी और आसपास का पर्यावरण प्रदूषित करती थी।



भानपुर क्षेत्र में कचरे के निष्पादन का कार्य नवंबर अंत तक पूरा हो जाएगा। शहर से एक बड़े इलाके से प्रदूषण बड़ी समस्या खत्म हो जाएगी। इस जमीन के उपयोग के लिए योजना तैयार की जा रही है। - वीएस चौधरी कोलसानी, निगमायुक्त


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