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पुरुषोत्तम मास का समय चल रहा है 4 श्लोकों के जाप से मिलेंगें श्रीमद्भागवत कथा के सभी लाभ आइये जानें इन चारों मंत्रों के बारे में डिटेल्स


इस समय पुरुषोत्तम मास का समय चल रहा है. ऐसा माना जाता है कि यदि पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत का रोज पाठ किया जाय तो पाठ करने का अनंत पुण्य मिलता है. ऐसी भी मान्यता है कि श्रीमद्भागवत का रोज पाठ न कर पाने की दशा में यदि इन्हीं 4 श्लोकों का ही जाप कर लिया जाय तो श्रीमद्भागवत पाठ का पूरा फल मिल जाता है. इसीलिए इन चार मन्त्रों को चतु:श्लोकी भागवत मंत्र भी कहा जाता है.


ये चार मंत्र सबसे पहले भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को सुनाया था. इसके बाद ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को सुनाया, फिर नारद मुनि ने इस चतु:श्लोकी भागवत मंत्र को वेद व्यास जी को सुनाया था. बाद में इन्हीं चतु:श्लोकी भागवत मंत्र की मदद से व्यास जी ने 18 हजार श्लोकों के श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना किया. ऐसा भी माना जाता है कि मलमास या पुरुषोत्तम मास में इन चतु:श्लोकी भागवत मंत्र को पढ़ने से सभी पाप ख़त्म हो जाते हैं.


ये हैं भगवान विष्णु के मुख से निकले 4 श्लोक या मंत्र-


{1} अहमेवासमेवाग्रे नान्यद् यत् सदसत् परम्।


पश्चादहं यदेतच्च योऽवशिष्येत सोऽस्म्यहम् 


{2} ऋतेऽर्थं यत् प्रतीयेत  प्रतीयेत चात्मनि।


तद्विद्यादात्मनो मायां यथाऽऽभासो यथा तमः 


{3} यथा महान्ति भूतानि भूतेषूच्चावचेष्वनु।


प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु  तेष्वहम्॥


{4} एतावदेव जिज्ञास्यं तत्त्वजिज्ञासुनाऽऽत्मनः।


अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत् स्यात् सर्वत्र सर्वदा॥


 ऐसे करें जाप:


इन चतु:श्लोकी भागवत मंत्र का जाप करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति पर जल, पुष्प, फल और मिठाई चढ़ाकर उनकी पूजा करनी चाहिए. पूजा करने के बाद इन चतु:श्लोकी भागवत मंत्रों का जाप करना चाहिए.


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