Header Ads Widget

Responsive Advertisement

एसबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगस्त में महंगाई आंकड़ा सात प्रतिशत या उससे ऊपर रहेगा.

 एसबीआई  की ओर से जारी नई रिपोर्ट में बताया गया है कि खुदरा महंगाई दर (CPI-Consumer Price Index) अब दिसंबर के बाद ही चार प्रतिशत से नीचे आएगी. रिपोर्ट के अनुसार इसमें इस समय आया उछाल कोरोना के कारण सप्लाई चेन का टूटना है. साथ ही, सरकार की ओर से की गयी भारी खरीद से भी कीमतें बढ़ी है. एसबीआई इकोरैप की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि अगस्त का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा 7 फीसदी या उससे ऊपर बना रह सकता है. यह आंकड़ा सोमवार को यानी 14 सितंबर को जारी होगा.

क्या होता है महंगाई दर- आपको बता दें कि भारत में महंगाई दर बाजारों में सामान्य तौर पर कुछ समय के लिए वस्तुओं के दामों में उतार-चढ़ाव महंगाई को दर्शाती है. जब किसी देश में वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें सामान्य से अधिक हो जाती हैं तो इस स्थिति को महंगाई (इंफ्लेशन) कहते हैं. वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाने की वजह से परचेजिंग पावर प्रति यूनिट कम हो जाती है. दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि बाजार में मुद्रा की उपलब्धता और वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी को मापने की एक तरकीब है. भारत में वित्तीय और मौद्रिक नीतियों के कई फैसले सरकार थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर के हिसाब करती है.


क्यों बढ़ रही है महंगाई-जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 6.93 फीसदी रही जबकि पिछले साल जुलाई में यह आंकड़ा 3.15 प्रतिशत था. मुद्रास्फीति में यह तेजी खास कर अनाज, दाल-सब्जियों और मांस-मछली के दाम बढ़ने की वजह से है. एसबीआई की रपट में कहा गया है, ‘ हमें लगता है कि मुद्रास्फीति का अगस्त का आंकड़ा सात प्रतिशत या उससे ऊपर रहेगा और यदि तुलनात्मक आधार का प्रभाव ही इसका प्राथमिक कारण है तो मुद्रास्फीति संभवत: दिसंबर या उसके बाद ही चार प्रतिशत से नीचे दिखेगी.


रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड- 19 का संक्रमण अब ग्रामीण इलाकों में जिस तरह बढ रहा है उससे यह मानना कठिन है कि आपूर्ति की कड़ियां जल्दी फिर से सामान्य होंगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति में मुद्रास्फीति बढ़ने का ही खतरा है. आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को हद से हद दो प्रतिशत घट बढ़ के साथ चार प्रतिशत के आस पास रखने की जिम्मेदारी दी गयी है.


रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मुद्रास्फीति के परिदृश्य को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में नीतिगत ब्याज दर में और कमी की उम्मीद कम ही है. अगर की भी गयी तो यह ज्यादा से ज्यादा 0.25 प्रतिशत तक हो सकती है वह भी फरवरी की बैठक में. फरवरी में मौद्रिक नीति समिति के पास मुद्रास्फीति के जो आंकड़े होंगे वे केवल दिसंबर तक के होंगे.


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ