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WHO ने कहा है कि रूस ने उनके साथ वैक्सीन और टेस्टिंग की प्रक्रिया से जुड़ी कोई जानकारी साझा ही नहीं


(Russia) ने कोरोना वायरस की वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) बनाने की रेस में बाजी मारते हुए मंगलवार को कोविड-19 की वैक्सीन बना लेने का ऐलान कर दिया. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने की घोषणा की, 'हमने कोरोना की सुरक्षित वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) बना ली है और देश में रजिस्टर्ड भी करा लिया है. मैंने अपनी दो बेटियों में एक बेटी को पहली वैक्सीन लगवाई है और वह अच्छा महसूस कर रही है.' हालांकि अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि उसके पास अभी तक रूस के ज़रिए विकसित किए जा रहे कोरोना वैक्सीन के बारे में जानकारी नहीं है. WHO ने रूस को वैक्सीन के मामले में जल्दबाजी न दिखाने के लिए कहा है और उसके इस रवैये को खतरनाक भी बताया है.

रूस ने वैक्सीन का नाम अपने पहले सैटेलाइट 'स्पुतनिक V' के नाम पर रखा है. रूसी स्वायत्त धन निधि के प्रमुख का कहना है कि इस वैक्सीन के लिए 1 अरब डोज के लिए उन्हें 20 से अधिक देशों से निवेदन मिल चुका है. उधर WHO ने कहा है कि रूस ने उनके साथ वैक्सीन और टेस्टिंग की प्रक्रिया से जुड़ी कोई जानकारी साझा ही नहीं की है. WHO को इस वैक्सीन के तीसरे चरण की टेस्टिंग को लेकर संशय है. संगठन के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि अगर किसी वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किए बगैर ही उसके उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाता है, तो इसे खतरनाक मानना ही पड़ेगा.


विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्गत आने वाले पैन-अमैरिकन हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन के सहायक निदेशक जरबास बारबोसा ने कहा कि, 'जानकारी मिली है कि ब्राज़ील वैक्सीन बनाना शुरू करेगा. लेकिन जब तक और ट्रायल पूरे नहीं हो जाते ये नहीं किया जाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि वैक्सीन बनाने वाले किसी को भी इस प्रक्रिया का पालन करना है जो कि ये सुनिश्चित करेगा कि वैक्सीन सुरक्षित है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उसकी सिफ़ारिश की है. पिछले हफ़्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रूस से आग्रह किया था कि वो कोरोना के ख़िलाफ़ वैक्सीन बनाने के लिए वो अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन का पालन करे.


रूस ने कहा- वैक्सीन सुरक्षित
रूसी अधिकारियों के मुताबिक, वैक्सीन को तय योजना के मुताबिक रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय और रेग्युलेटरी बॉडी का अप्रूवल मिल गया है. बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन को सबसे पहले फ्रंटलाइन मेडिकल वर्कर्स, टीचर्स और जोखिम वाले लोगों को दिया जाएगा. पुतिन ने कहा कि उनके वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की ऐसी वैक्सीन तैयार कर ली है जो कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ कारगर है. इस टीके का इंसानों पर दो महीने तक परीक्षण किया गया और ये सभी सुरक्षा मानकों पर खरा उतरा है.

इस वैक्सीन को रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मंज़ूरी दे दी है. माना जा रहा है कि रूस में अब बड़े पैमाने पर लोगों को यह वैक्सीन देनी की शुरुआत होगी. हालांकि रूस ने जिस तेज़ी से कोरोना वैक्सीन को हासिल करने का दावा किया है उसको देखते हुए वैज्ञानिक जगत में इसको लेकर चिंताएं भी जताई जा रही हैं. दुनिया की पहली इस पहली वैक्सीन को रक्षा मंत्रालय और गामालेया नेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिडिमियोलॉजी एंड माइक्रोबायलॉजी ने मिलकर तैयार किया है. सितम्बर से इसका उत्पादन करने और अक्टूबर से लोगों को लगाने की तैयारी शुरू हो गई है.


कई देश बना रहे हैं वैक्सीन
हालांकि रूस अकेला देश नहीं है जो वैक्सीन बनाने में लगा है. 100 से भी ज़्यादा वैक्सीन शुरुआती स्टेज में हैं और 20 से ज़्यादा वैक्सीन का मानव पर परीक्षण हो रहा है. अमेरिका में छह तरह की वैक्सीन पर काम हो रहा है और अमरीका के जाने माने कोरोना वायरस विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फॉसी ने कहा है कि साल के अंत तक अमरीका के पास एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन हो जाएगी. ब्रिटेन ने भी कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर चार समझौते किए हैं. एस्ट्राज़ेनेका कोरोना वैक्सीन का 10 करोड़ ख़ुराक तैयार कर रही है, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक काम कर रहे हैं, और दवा की कंपनी जीएसके और सनोफ़ी भी इसका इलाज ढूंढ रही हैं. मंगलवार को इंडोनेशिया और मैक्सिको दोनों ने घोषणा की कि उनके यहां भी कोरोना वैक्सीन का आख़िरी दौर का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है. इसके आलावा चीन की सिनोवैक भी अंतिम चरण में बताई जा रही है.


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