लाइलाज बीमारी एड्स की दवा मिलने का दावा किया गया है. साओ पाउलो की फेडरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक दवाओं के एक मिश्रण के इस्तेमाल से ब्राजील का एक शख्स एड्स के वायरस से मुक्त हो गया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, HIV पीड़ित को कई तरह की एंटीरेट्रोवायरल दवाओं और निकोटिनामाइड ड्रग का कॉम्बिनेशन दिया गया. यूनिवर्सिटी के कहा है कि गोपनीयता कानून की वजह से मरीज का नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को जल्द इसकी जानकारी दी जाएगी.
वैज्ञानिकों की टीम ने एड्स-2020 नाम की एक ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में ये दावा कर सबको चौंका दिया कि उन्होंने एक एड्स के मरीज को बिलकुल ठीक कर दिया है. शोधकर्ता डॉ. रिकार्डों डियाज ने बताया कि ब्राजील का ये शख्स को अक्टूबर 2012 में एचआईवी पॉजिटिव मिला था. ट्रायल में मरीज ने एड्स के इलाज के दौरान ली जाने वाली दवाएं बंद कर दी थीं. रिसर्च के दौरान मरीज को लंबे समय तक हर दो महीने पर एंटीरेट्रोवायरल दवाओं और निकोटिनामाइड ड्रग का कॉम्बिनेशन दिया गया. एक साल बाद जब मरीज का ब्लड टेस्ट किया गया तो रिपोर्ट निगेटिव आई. हालांकि मरीज के शरीर में वायरस को खत्म करने के लिए एंटीबॉडी का लेवल क्या था ये अभी नहीं बताया गया है.
मरीज ने भी कहा- ठीक हो गया हूं
रिकवरी के बाद पहचान न जाहिर करने की शर्त पर मरीज का कहना है कि मुझे दूसरी जिंदगी मिली है. मैं वायरस मुक्त हो गया हूं, लाखों एचआईवी संक्रमित मरीजों के लिए उम्मीद है. यह जीवन एक गिफ्ट जैसा है. गौरतलब है कि अगर इस मामले की पुष्टि होती है तो यह एड्स का पहला मामला होगा, जहां बिना स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के एचआईवी को शरीर से बाहर निकाला गया. इससे पहले स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से लंदन के एक इंसान का एड्स ठीक कर दिया गया था. शोधकर्ता एडम कास्टिलेजा के मुताबिक, मरीज जिंदा है और वायरस मुक्त है. यह साबित करता है कि एड्स का इलाज किया जा सकता है. फिलहाल विशेषज्ञ इस मामले पर लगातार नजर रख रहे हैं कि ब्राजील के शख्स में दोबारा वायरस मिलने का खतरा है या नहीं. यह आगे होने वाली टेस्टिंग में सामने आएगा.
सिर्फ दवाओं से ठीक होने का दावा
बता दें कि एक बार इंसान HIV से संक्रमित हो गया तो इसे शरीर से बहार निकालना बेहद मुश्किल काम है क्योंकि ये ब्लड सेल्स में घर बना लेते हैं. यहां से लम्बे समय तक रहते हैं और दवाओं से अपनी जगह नहीं छोड़ते. अगर मरीज ने एक बार दवाएं बंद की तो वायरस खुद को एक्टिवेट करता है और बीमारी दोबारा अपना असर दिखाना शुरू करती है. उधर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की एड्स स्पेशलिस्ट डॉ. मोनिका गांधी के मुताबिक, यह जानकारी काफी दिलचस्प है लेकिन अभी शुरुआती स्तर पर है क्योंकि ऐसा सिर्फ एक इंसान के साथ हुआ है. 4 अन्य लोगों को यही ट्रीटमेंट दिया गया लेकिन वो सफल नहीं हुआ. इस बारे में अभी और रिसर्च करने की ज़रुरत है.
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