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भारत में कोरोना जांच के लिए इजराइल की तकनीक का इस्तेमाल संभव है इसके नतीजे 30 सेकंड में सामने आ जाते हैं


कोरोना टेस्टिंग को लेकर देश के कई हिस्सों में सामने आ रही परेशानियों के बीच इजरायली तकनीक नया कमाल कर सकती है। इसका परीक्षण भारत में सफल रहा तो कोरोना संक्रमण का पता सिर्फ 30 सेकेंड में लग जाएगा। इजरायल के वैज्ञानिकों का बड़ा दल भारत में लाखों लोगों पर इस तकनीक का परीक्षण करेगा। जिस नई तकनीक का भारत में परीक्षण होगा, उसमें किसी व्यक्ति की आवाज से लेकर सांस के माध्यम से कोरोना संक्रमण की पहचान की जाएगी। हालांकि, अभी सरकार की ओर आधिकारिक तौर पर इजरायली टीम के आने की पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन यह दावा दूतावास की ओर से किया गया है।


इजरायल सरकार के अनुसार, उसकी विदेश, रक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय की बड़ी टीम विशेष विमान से भारत जाने के लिए तैयार है। यह टीम इजरायल में विकसित कोरोना की अत्याधुनिक टेस्टिंग उपकरणों की उपयोगिता की जांच करेगी। 10 दिनों तक लाखों लोगों पर परीक्षण और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित एनालिसिस के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि यह टेस्ट कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए कितना सटीक है


इस टेस्ट का इजरायल में सफल पाए जाने का दावा है, लेकिन अब भारत में भी इसकी जांच की जाएगी। इजरायल से आने वाली टीम के लिए भारत में भी पूरी तैयारी है। टेस्टिंग की साइट की पहचान की जा चुकी है और 100 लोगों को टीम की मदद के लिए विशेष रूप से लगाया गया है।


इस तरह होगा परीक्षण


जिस टेस्टिंग तकनीक को इजरायल भारत में जांच के लिए ला रहा है, उनमें एक आवाज में अंतर के आधार पर कोरोना संक्रमण की पहचान की है। दूसरी तकनीक टेराहर्ट्स वेव के माध्यम से सांस की जांच कर कोरोना वायरस का पता लगाने की है। यह मशीन सामान्य ब्रीथ एनालाइजर की तरह काम करती है। इसी तरह एक आइसो थर्मल टेस्ट की तकनीक है, जो आरटी-पीसीआर की तरह कोरोना की सटीक जानकारी देती है, लेकिन इसका उपयोग करना बहुत आसान है और किसी तकनीशियन की जरूरत नहीं पड़ती है। अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में आसानी से इसका उपयोग कोरोना की जांच के लिए किया जा सकता है।


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