बीजिंग: चीन ने माना है कि उसने कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल्स नष्ट किए थे. चीन की तरफ से कहा गया है कि उन्होंने कोरोना वायरस के मिले शुरुआती सैंपल्स को नष्ट करने का आदेश दिया था. हालांकि कहा गया है कि ऐसा बायोसेफ्टी की वजह से कहा गया था.
चीन की ये प्रतिक्रिया अमेरिका के विदेशमंत्री माइक पॉम्पियो के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने बार-बार कहा था कि चीन ने कोरोना वायरस के शुरुआती संक्रमितों से लिए सैंपल्स उपलब्ध नहीं करवाए. अमेरिका ने दिसंबर में चीन में फैले कोरोना वायरस के सैंपल्स उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया था. लेकिन चीन के हेल्थ ऑफिशियल ने सैंपल्स नष्ट कर दिए थे.
इस बारे में चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के साइंस एंड एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारी लिउ डेंगफेंग ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि लेबोरेटरी को खतरे से बचाने के लिए और बायोसेफ्टी के लिहाज से सैंपल्स को नष्ट करने का फैसला लिया गया था. अनजान वायरस से पैदा होने वाली दूसरी महामारी के खतरे को कम करने के लिए ऐसा कदम उठाया गया था.
उन्होंने कहा है कि सैंपल्स को मामले की जानकारी छुपाने के लिए नहीं नष्ट किया गया. उनकी मंशा ये नहीं थी कि इसे किसी दूसरे देश के साथ शेयर नहीं करना है. लिउ ने कहा है कि ऐसा सिर्फ बायोसेफ्टी वजहों से किया गया. उन्होंने कहा है कि इस मामले के अमेरिका के कुछ अधिकारियों ने गलत दिशा दे दी है और वो लोगों में भ्रम फैलाना चाहते हैं.
लिउ ने कहा है कि जब पहली बार वुहान में न्यूमोनिया की तरह की बीमारी फैली तो राष्ट्रीय स्तर के लैब ने वायरस की पहचान की तैयारी शुरू कर दी, जिसकी वजह से ये बीमारी फैली थी.
लिउ ने कहा है कि लंबे चौड़े रिसर्च और एक्सपर्ट की राय के बाद हमने फैसला किया कि हम टेम्पररी तौर पर इस बहुत ही ज्यादा संक्रामक वायरस को मैनेज करेंगे. हमने बायोसेफ्टी की जरूरतों का ख्याल रखते हुए शुरुआती सैंपल्स को नष्ट कर दिया.
उन्होंने कहा है कि चीन में ये वायरस से निपटने का स्टैंडर्ड तरीका है. खासकर ज्यादा तेजी से फैलने वाले वायरस के मामलों में. उन्होंने कहा है कि जो भी लेबोरेटरी वायरस को सुरक्षित रखने में सक्षम नहीं होते हैं वो या तो वायरस के सैंपल्स दूसरे लैब में भिजवाते हैं या फिर उन्हें नष्ट कर देते हैं.
हालांकि इस दौरान लिउ ने इस बात का जवाब नहीं दिया, जिसमें ट्रंप प्रशासन ने वुहान के लैब से कोरोना वायरस के पैदा होने की बात कही थी.
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