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औरंगाबाद हादसे के बाद रेलवे ट्रैक के जरिए मजदूरों का पलायन एक बड़ी समस्या बन गया है


महाराष्ट्र के जालना में लॉकडाउन की वजह से फंसे 20 मजदूर कल पैदल ही रेलवे ट्रैक के सहारे अपने गांव के लिए निकले थे लेकिन औरंगाबाद के दर्दनाक हादसे में 16 मजदूरों की मौत हो गई. लेकिन विडंबना यह है कि अब भी रेलवे ट्रैक पर मजदूरों का पलायन जारी है. इतने बड़े हादसे के बाद भी भूख और लॉकडाउन की लाचारी से परेशान मजदूर अभी भी अपनी जान को खतरे में डाल रहे हैं.


देश की राजधानी दिल्ली से सटे यूपी के हापुड़ और ग्रेटर नोएडा से ऐसी तस्वीरें आई हैं जहां लोग अपनी जान को खतरे में डालकर रेल की पटरियां क्रॉस कर रहे हैं. किसी के कंधे पर बैग है तो कोई बोरे में ही अपनी जरूरत का सामान रखकर रवाना हो चला है. देश की राजधानी दिल्ली से महज 38 किमी की दूरी पर ग्रेटर नोएडा का मारीपात स्टेशन है. जहां प्रशासन की बेरूखी से परेशान कामगार अपनी जान को दांव पर लगाकर पैदल ही घर लौटने को मजबूर हैं.


कोई दिल्ली से तो कोई पंजाब से इसी तरह रेलवे की पटरियों के सहारे घरवापसी की कोशिश में जुटा है. क्योंकि सड़क पर जाएं तो पुलिस डंडा मारती है. औरंगाबाद के दर्दनाक हादसे के बाद भी एक तरफ मजदूर बेबस हैं तो प्रशासन के पास इनकी सुध लेने का समय नहीं है. हापुड़ रेलवे स्टेशन के पास घर वापसी की कोशिश में धूप और थकान की मार के आगे बेबस मजदूर जमीन पर लेटकर अपनी थकान मिटाते दिखे.


औरंगाबाद हादसे के बाद रेलवे ट्रैक के जरिए मजदूरों का पलायन एक बड़ी समस्या बन गया है. लेकिन सरकार की तरफ से इस पलायन को रोकने के लिए अब तक कोई पुख्ता कदम नहीं उठाए गए हैं.


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