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लंदन के डॉक्टर नथाली मैकडरमोट का कहना है कोरोना वायरस जब शरीर में जाता है तब कैसे इसको प्रभावित करता है जानिए

कोरोना वायरस की बहुत सारी किस्में होती हैं. इससे होने वाली बीमारी को कोविड-19 का नाम दिया गया है. कोरोना वायरस सांस लेने के दौरान शरीर पर हमलावर होता है. ये संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या सांस लेने से शरीर में जाता है. कोरोना वायरस हवा में या सतह पर हो सकता है. यहां तक कि मुंह, नाक, आंख पर मौजूद वायरस के छूने से भी शरीर में घुस जाता है. सबसे पहले ये वायरस उन कोशिकाओं को प्रभावित करता है जो गला, सांस की नली और फेफड़े में होते हैं. जिसे ये कोरोना वायरस की फैक्ट्री में तब्दील कर देता है. वायरस शरीर की कोशिकाओं के अंदर दाखिल हो कर उन पर काबू पा लेते हैं.शुरुआती दौर में बीमार पड़ने के लक्षण सामने नहीं आते. संक्रमण होने और इसके लक्षण जाहिर होने का समय अलग होता है मगर आम तौर पर पांच दिन का समय बताया जाता है. कोविड-19 दस में से नौ शख्स के लिए मामूली संक्रमण साबित होता है. इसके लक्षण में बुखार, खांसी, शरीर में दर्द, गले में सूजन और सिर दर्द भी शामिल है. मगर कोई जरूरी नहीं कि ये लक्षण जाहिर हों. बुखार और तबीयत का बोझिल होना शरीर में संक्रमण के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता की प्रतिक्रिया की वजह से होता है. किंग्ज कॉलेज लंदन के डॉक्टर नथाली मैकडरमोट का कहना है कि ये वायरस रोग प्रतिरोधक क्षमता को असंतुलित कर देता है. शरीर में साइटोकिन केमिकल के निकलने से कुछ गड़बड़ होने का इशारा मिलता है.वायरस के कारण मरनेवाली कोशिकाओं से कुछ लोगों में बलगम जैसा गाढ़ा द्रव्य निकलने लगता है. फेफड़ों में संक्रमण के कारण सांस लेने में दिक्कत पैदा होती है और शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती. इसके कारण गुर्दों की सफाई का काम रुक जाता है और आंतों की सतह खराब हो जाती है. कुछ लोगों में कोविड-19 खतरनाक हालत पैदा कर देता है. चीन से सामने आए आंकड़ों के अध्ययन में ये बात सामने आई कि 14 फीसद लोगों को वेंटिलेटर का सहारा लेना पड़ा. एक अनुमान के मुताबिक इस बीमारी से 6 फीसद लोग चिंताजनक स्थिति तक पहुंच गए. इसका मतलब ये हुआ कि रोग प्रतिरोधक क्षमता ने काम करना छोड़ दिया. जिससे मौत की आशंका पैदा हो जाती है.


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