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ICEA ने सरकार से मोबाइल फोन जरूरी लिस्ट में शामिल करने को कहा है ऐसा नहीं हुआ तो 4 करोड़ मोबाइल यूजर्स प्रभावित होंगे

(प्रतीकात्मक फोटो)


 स्मार्टफोन के लिए दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजार के रूप में भारत की स्थिति को झटका लग सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार अगर सरकार ने लॉकडाउन के दौरान मोबाइल और इसके पार्ट्स को जरूरी सामान की लिस्ट में शामिल नहीं किया तो भारत में चार करोड़ मोबाइल यूजर्स प्रभावित हो सकते हैं.


इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) का मानना ​​है कि अगर मई के अंत तक, हैंडसेट और इसके पार्ट्स बेचने पर प्रतिबंध जारी रहा तो सेल फोन सर्विस को तगड़ा झटका लग सकता है. आईसीईए मेन्युफेक्चरर, ब्रांड मालिक, टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स, VAS एप्लीकेशन, सॉल्युशन प्रोवाइडर्स, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणओं के डीलर्स और रिटेलर्स को रीप्रिजेंट करती है.


ICEA के अनुसार देश में फिलहाल करीब ढाई करोड़ मोबाइल फोन खराब पड़े हैं क्योंकि मोबाइल पार्ट्स की सप्लाई नहीं हो पा रही है. कोरोना वायरस के चलते इसकी सप्लाई चैन प्रभावित हुई है. वहीं अगर लॉकडाउन जारी रहा तो ये संख्या ढाई करोड़ से बढ़कर चार करोड़ हो सकती है. ICEA की मानें तो देश में हर महीने करीब ढाई करोड़ मोबाइल फोन खरीदे जाते हैं. इसके मुताबिक अभी देश में 85 करोड़ एक्टिव मोबाइल फोन हैं.


ICEA के चेयरमैन पंकज मोहिन्द्रू ने बताया कि हमने सरकार मोबाइल फोन को जरूरी सेवाओं में शामिल करने का आग्रह किया है. हमने सरकार को ये भी बताया है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो 4 करोड़ यूजर्स प्रभावित हो सकते हैं. पंकज ने ये भी कहा कि कोरोना मरीज को ट्रैक करने के लिए सरकार द्वारा लॉन्च किए गए अरोग्य सेतु ऐप को कई जगह अनिवार्य कर दिया गया है ऐसे में अगर लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं होंगे तो वे ये ऐप कैसे डाउनलोड करेंगे.


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