Header Ads Widget

Responsive Advertisement

बद्रीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल को खुलने के साथ ही उत्तराखंड के चार धामों के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला प्रारंभ हो जाएगा


 सनातन संस्कृति के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल को ब्रहम मुहूर्त में सुबह 4.30 खुलेंगे। कपाट खोलने की विधिवत घोषणा टिहरी जिले में नरेंद्रनगर स्थित राज दरबार में की गई। इसके साथ ही भगवान बद्रीविशाल की पूजा में प्रयोग में लाए जाने वाले तिल के तेल को पिरोने की तिथि भी 18 अप्रैल नियत कर दी गई है। बद्रीनाथ धाम के कपाट 30 अप्रैल को खुलने के साथ ही उत्तराखंड के चार धामों के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला प्रारंभ हो जाएगा


उत्तराखंड के चारधामों में बद्रीनाथ धाम का प्रमुख स्थान है। इसके अलावा पहाड़ों पर केदारनाथ तीर्थ है जो बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसके साथ ही चारधामों में गंगोत्री और यमुनोत्री तीर्थ शामिल है। गंगोत्री में मां गंगा का मंदिर बना हुआ है और इसको मां गंगा का उदगम माना जाता है। उसी तरह यमुनोत्री में यमुना देवी का मंदिर बना हुआ है और इसको यमुना नदी का उदगम माना जाता है। इसके अलावा पंचकेदार, पंचप्रयाग आदि तीर्थों का भी काफी महत्व है


भगवान बद्रीनाथ को बद्रीनारायण भी कहा जाता है। भगवान बद्रीनाथ की 1 मीटर की शालिग्राम से निर्मित मूर्ति मंदिर के गर्भग्रह में विराजमान है। मान्यता है कि इस प्रतिमा को आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में नजदीक के नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित किया था। उन्होंने ही इस मंदिर में पुजारी और पूजा की व्यवस्था की थी जो आज तक चली आ रही है। इसके अंतर्गत केरल राज्य के नम्बूदरी ब्राह्मण यहाँ के मुख्य पुजारी होते हैं


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ