पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और डोकलाम विवाद में चीन को पटखने देने वाले जनरल बिपिन रावत आज सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए हैं. बिपिन रावत ने आज दिल्ली में वॉर मेमोरियल जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी. इसके बाद बिपिन रावत को साउथ ब्लॉक में गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया. बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद मिला है. वह कल से यह पद संभालेंगे.
हम नए आर्मी चीफ का सहयोग करेंगे- बिपिन रावत
बिपिन रावत ने आज कहा, ''मैं भारतीय सेना और सभी अधिकारियों को बधाई और धन्यवाद देता हूं, उन्हीं के सहयोग के कारण मैं सफलता पूर्वक अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रहा. मैं उन्हें और उनके परिवार वालों को, वीर नारियों नीर माताओं को नए साल की शुभकामनाएं देता हूं.''
उन्होंने कहा, ''भारतीय सेना में सेना प्रमुख सिर्फ एक ओहदा है, वो अकेले काम नहीं करता. उसे अपने काम के लिए जवानों और अफसरों का सहयोग मिलता है तभी आर्मी चीफ अपना काम कर पाता है. बिपिन रावत सिर्फ एक नाम है लेकिन जब उसे सब का सहयोग मिलता है तब वो सेना प्रमुख बनता है, अकेला कोई भी कुछ भी नहीं बन सकता है.'' उन्होंने कहा, ''नए आर्मी चीफ को कैसे काम करना है ये उन्हें तय करना है, हम उनका सहयोग करेंगे. हमें उनकी क्षमताओं पर पूरा भरोसा है.''
65 साल की उम्र रहेंगे चीफ ऑफ डिफेंस
बता दें कि बिपिन रावत 65 साल की उम्र तक चीफ ऑफ डिफेंस के पद पर रह सकते हैं. यानि जनरल रावत अगले तीन साल तक इस पद पर बने रह सकते हैं क्योंकि वे इसी साल मार्च में 62 साल के होंगे. सरकार ने सीडीएस के पद के लिए शनिवार को ही आर्मी रूल्स में बदलाव करते हुए सीडीएस के लिए 65 साल की उम्र घोषित कर दी थी. अपने तीन साल के कार्यकाल में जनरल बिपिन रावत ने ना केवल पाकिस्तान की नकेल कसकर रखी बल्कि चीन की भी हर चाल को नाकाम कर दिया.
साल 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान वे सहसेना प्रमुख के पद पर थे और उसकी प्लानिंग और कार्यान्वयन में अहम भूमिका निभाई थी. यही वजह है कि सरकार ने वरिष्ठता के नियम को दरकिनार करते हुए जनरल बिपिन रावत को थलसेना प्रमुख बनाया था.
0 टिप्पणियाँ