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लोकसभा के बाद नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा से भी पास हो गया है. बिल के पक्ष में 125 सासंदों ने मतदान किया तो वहीं 105 सांसदों ने विरोध में वोट किया


नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा से पास हो गया है. बिल पास होने के बाद से ही इस पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक अल्पसंख्यकों के पक्ष में जरूर है, पर भारत के मुसलमानों के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं है. वसीम रिजवी ने कहा, "यह विधेयक आतंकवाद पर करारा प्रहार करने वाला है. यह विधेयक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के पक्ष में जरूर है, पर भारत के मुसलमानों के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं है.


रिजवी ने कहा कि हिंदू अल्पसंख्यकों की मदद भारत नहीं करेगा तो कौन करेगा. अगर पड़ोसी मुल्कों में हिंदुओं पर अत्याचार होता है, तो भारत को उनकी बढ़-चढ़कर मदद करनी चाहिए.


रिजवी ने हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि ओवैसी कट्टरवादी विचारधारा से संबंध रखते हैं, इसलिए कभी विधेयक फाड़ते हैं तो कभी राम मंदिर का नक्शा फाड़ने वालों का समर्थन करते हैं.


उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी न हिंदुस्तान में आतंकवाद को जन्म दिया है. अब जब आतंकवाद को रोकने की कोशिश की जा रही है, तो इसका विरोध किया जाना गलत है.


बता दें कि बिल पर चर्चा के बाद वोटिंग के दौरान सदन में 125 सासंदों ने पक्ष में मतदान किया तो वहीं 105 सासंदों ने बिल की मुखालफत की. वोटिंग के दौरान शिवसेना ने राज्‍यसभा से वॉकआउट किया. इस बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.


राज्यसभा में विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजे जाने का प्रस्ताव भी वोटिंग के बाद गिर गया. बिल पर चर्चा के दौरान सभी दलों ने अपनी-अपनी राय रखी. इस दौरान सदन में कई बार जमकर हंगामा भी देखने को मिला.


विधेयक के पक्ष में 125 और विरोध में 105 मत पड़े. बीजेपी के सहयोगी दलों- जेडीयू और शिरोमणि अकाली दल के साथ ही एआईएडीएमके, बीजेडी, टीडीपी और और वाईएसआर कांग्रेस ने बिल का समर्थन किया.


अमित शाह का बयान


बिल पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ''जो अल्पसंख्यक बाहर से हमारे देश में आए, उन्हें राहत मिली है. तीन पड़ोसी मुल्कों से लोग हमारे देश में आए. वहां उन्हें समानता का अधिकार नहीं मिला. वो लोग अपने देश में दर-दर की ठोकरें खा रहे थे. वह लोग उम्मीद लेकर भारत आए थे.''


अमित शाह ने कहा, ''यह बिल लाखों लोगों के लिए किसी आशा की किरण जैसा है. ये बिल धार्मिक प्रताड़ितों के लिए है. मैं इस सदन के माध्यम से देश की जनता का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहता हूं. घोषणा पत्र के आधार पर प्रचार होता है.''


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