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इंदौर में युवा वकीलों ने शुरू किया अपनी तरह का पहला 'लीगल क्लिनिक'


'क्लिनिक' शब्द सामने आते ही जेहन में सफेद कोट पहने किसी डॉक्टर का चेहरा सामने आ जाता है, लेकिन ऐसे क्लिनिक भी हो सकता है जहां आपका सामना काला कोट पहने वकीलों से हो। जहां आपको गोली-दवाई नहीं बल्कि कानूनी मदद मिले, वह भी मुफ्त। इंदौर शहर में ऐसा ही 'लीगल क्लिनिक' चल रहा है। युवा वकील और सीविल जज की परीक्षा की तैयारी कर रहे 40 से ज्यादा लोग इसे चलाते हैं। दो महीने पहले शुरू हुए इस 'लीगल क्लिनिक' से अब तक 100 से ज्यादा लोगों को मदद मिल चुकी है। यह लीगल क्लिनिक चल रहा है शहर के मध्य स्थित राधा नगर कॉलोनी में। हर शनिवार शाम 6 बजे से यहां जरूरतमंद लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इन लोगों को मुफ्त कानूनी परामर्श दी जाती है। क्लिनिक में सीनियर वकील भी हैं जो युवा वकीलों के कामकाज का आकलन करते हैं। संस्था न्यायाश्रय के बैनर तले चलने वाले इस क्लिनिक की शुरुआत करीब दो महीने पहले हुई है। संस्था के वकील पंकज वाधवानी के मुताबिक 2016 में संस्था की स्थापना के बाद से यह आभास होने लगा था कि पैसों के अभाव में लोगों का सही कानूनी सलाह नहीं मिल पाती


पूरे सप्ताह करते हैं प्रचार : क्लिनिक में सेवा दे रहे वकील राहुल सुखानी, जयंत दुबे, अभिषेक भार्गव ने बताया कि क्लिनिक के सदस्य कोर्ट में रोज के कामकाज के साथ ही जरूरतमंद लोगों को संस्था की जानकारी भी देते हैं। ऐसे लोग जो पैसों के अभाव में कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा पाते उन्हें क्लिनिक का पता देकर शनिवार को संपर्क करने को कहा जाता है। क्लिनिक में उनकी समस्या सुनने के बाद संबंधित क्षेत्र में काम करने वाले क्लिनिक के सदस्य (वकील) को वह केस सौंप दिया जाता है। क्लिनिक के सदस्य राशि एकत्रित कर संस्था के माध्यम से फीस व अन्य खर्च वहन करते हैं


चक्कर काट रहे थे, नहीं मिल रहा था पीएफ


मिल क्षेत्र निवासी रामप्रसाद यादव कृषि विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। करीब चार साल पहले रिटायर हो गए थे। उनका बकाया पीएफ जारी नहीं हो रहा था। वे विभाग में चक्कर लगाकर परेशान थे। एक वकील के माध्यम से वे लीगल क्लीनिक पहुंचे। यहां के सदस्यों ने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत कर पूछा कि कितना पीएफ जमा है और जारी क्यों नहीं किया जा रहा। आवेदन प्रस्तुत होने के डेढ महीने बाद ही पीएफ की पूरी रकम जारी कर दी गई


कोर्ट जाए बगैर हो गया समझौता


द्वारकापुरी निवासी महिला छोटी बच्ची के साथ लीगल क्लीनिक पहुंची। उसने सदस्यों को बताया कि उसका पति दो साल से जीजा के पास उदयपुर रहने चला गया है। न वो तलाक दे रहा है न ही बच्ची के लिए भरण पोषण देता है। क्लिनिक के सदस्यों ने महिला के पति को कानूनी नोटिस जारी कर बताया कि उसके खिलाफ घरेलू हिंसा सहित अन्य प्रकरण दर्ज हो सकते हैं। असर यह हुआ कि पति तुरंत इंदौर आया और पत्नी और बेटी को साथ उदयपुर ले गया


कब्जा करने वाले भाग गए


दिल्ली में छोटा-मोटा काम करने वाली महिला के स्कीम 71 स्थित प्लाट पर कुछ असामाजिक तत्वों ने कब्जा कर लिया था। महिला ने शिकायत की लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। महिला लीगल क्लिनिक पहुंची और अपनी परेशानी बताई। क्लिनिक के सदस्यों ने उसे सीएम हेल्प लाइन पर शिकायत करने की सलाह दी। इसके अलावा खुद थाने पर बात की। पुलिस हरकत में आई और अवैध कब्जा करने वाले प्लाट खाली कर भाग गए


लीगल क्लिनिक का कॉन्सेप्ट अच्छा है। इसे सराहा जाना चाहिए। गरीब और कमजोर वर्ग को इससे राहत मिल रही है। - सुरेंद्र कुमार वर्मा, अध्यक्ष इंदौर अभिभाषक संघ


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