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व्यापमं का गुमनाम पत्र फिर विधानसभा सत्र में मचाएगा हंगामा


व्यापमं घोटाले का सूत्रधार कहा जाने वाला पत्र कहां गया। उस 'गुमनाम पत्र' का मुद्दा शीतकालीन सत्र में हंगामे का सबब बनेगा। इस पत्र के सवाल पर शिवराज और कमलनाथ सरकार ने दो अलग-अलग जवाब दिए हैं। भाजपा की पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने विधानसभा में स्वीकार किया था कि गुमनाम पत्र की प्रति अपराध शाखा इंदौर में है। वहीं बजट सत्र के दौरान गृहमंत्री बाला बच्चन ने अपने लिखित जवाब में यह भी स्वीकार किया है कि दो जुलाई 2014 को विधानसभा में इस गुमनाम पत्र का उल्लेख तत्कालीन मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह चौहान) ने स्थगन पर चर्चा के दौरान अपने वक्तव्य में किया था, लेकिन ऐसा कोई गुमनाम पत्र मौजूद नहीं है।


कांग्रेस विधायक दल शीतकालीन सत्र में आक्रामक रहेगा। इसी रणनीति के तहत ऐसे मुद्दों पर जोर दिया जा रहा है, जो भाजपा की घेराबंदी कर सकें। इसी उद्देश्य से व्यापमं घोटाले पर युवा विधायक तैयारी कर रहे हैं। बजट सत्र में कांग्रेस विधायक हर्ष विजय गेहलोत ने सवाल किया था कि क्या पीएमटी 2013 में फर्जीवाड़ा होने के संदर्भ में गुप्तचर शाखा इंदौर को गुमनाम पत्र मिला था।


यदि हां तो बताएं कि वह पत्र एसटीएफ या सीबीआई को कब भेजा गया। पत्र मिलने के बाद किस-किस दिनांक को क्या कार्रवाई की गई।जवाब में गृहमंत्री बाला बच्चन ने इससे इनकार कर दिया। इसी के साथ विधायक प्रताप ग्रेवाल ने भी सवाल किया था कि क्या इस पत्र की जानकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री को दी गई थी।


ग्रेवाल के सवाल पर लिखित जवाब में बच्चन ने पहले तो इनकार कर दिया फिर सदन में संशोधित जवाब पेश कर कहा कि विभाग के पास गुमनाम पत्र उपलब्ध नहीं है, किंतु 2 जुलाई 2014 को विधानसभा में इस बात का उल्लेख तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपने वक्तव्य में किया था। कुणाल चौधरी ने भी इस बारे में सवाल किया था।


जनता के सामने लाएंगे कारनामे


पूरी ताकत से व्यापमं का मामला हम विधानसभा सत्र में उठाएंगे। व्यापमं घोटाले में भाजपा नेताओं के कारनामों को हम जनता के सामने लाना चाहते हैं। किस तरह इन लोगों ने लाखों प्रतिभावान युवाओं का भविष्य चौपट किया है, एक-एक को एक्ससोज करेंगे। - कुणाल चौधरी, विधायक, कांग्रेस


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