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शुगर व कैंसर जैसी बीमारी से बचाने वाला जापान का काला गेहूं अब मालवा की माटी में भी पैदा होने लगा है


सेहत के लिए फिक्रमंद रहने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। शुगर व कैंसर जैसी बीमारी से बचाने वाला जापान का काला गेहूं अब मालवा की माटी में भी पैदा होने लगा है। सूबे के किसानों ने शुरुआत में इसकी फसल परख कर देखी। वही किसान अब सैकड़ों बीघा क्षेत्र में इसकी बोवनी करने लगे हैं। इस गेहूं के आटे की रोटी खाने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। राष्ट्रीय कृषि खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान मोहाली द्वारा जापान से काले एवं बैंगनी गेहूं का आयात कर भारतीय गेहूं से क्रॉस कराकर नई किस्म तैयार की है। इसका नाम 'नाबी एमजी' रखा गया है। यह बाजार में काला एवं बैंगनी गेहूं के नाम से प्रचलित है।


मोहाली स्थित शोध संस्थान की संचालिका मोनिका गर्ग ने 'नईदुनिया' से चर्चा में बताया कि नाबी एमजी किस्म की काले गेहूं में एन्थोसाइनिज की मात्रा अधिक होती है तथा ग्लूकोन कम रहता है। इससे यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है। शुगर, कैंसर एवं मोटापे जैसी बीमारियों से बचाता है। यह आटा बाजरे के आटे की तरह मटमैला होता है। लेकिन इसकी रोटी पौष्टिकता से भरपूर है। काले गेहूं के प्रति बढ़ते रूझान के चलते बीज के भाव करीब 15 हजार रुपए क्विंटल तक पहुंच गए हैं। बता दें पंजाब के मोहाली स्थित अनुसंधान केंद्र पर बीज 24 हजार रुपए क्विंटल बिक रहा है। लेकिन मालवा के किसान आपस में ही बीज की खरीदी बिक्री कर रहे हैं। इससे इसकी कीमत 10 से 15 हजार रुपए क्विंटल रह गई है। देशभर में इसकी मांग बढ़ रही है


10 से 15 हजार रुपए क्विंटल बिका गेहूं


जिले में तीन वर्ष पहले कुछ किसानों ने इस गेहूं की बोवनी की थी। उत्पादन भी अच्छा हुआ तथा गेहूं के दाम 10 से 15 हजार रुपए क्विंटल मिल गए। एक बीघा में 12 से 15 क्विंटल उत्पादन बताया जा रहा है। नतीजतन इस बार सैकड़ों बीघा जमीन पर इस गेहूं की बोवनी की गई है। सीजन में यह गेहूं मंडियों में भी दिखने लगेगा।


यह हैं काले गेहूं के किरदार...


- बड़नगर तहसील के मालपुरा गांव निवासी किसान जूझारसिंह ने बीते वर्ष मात्र दो बीघा में काले गेहूं की बोवनी की थी। उत्पादन अच्छा हुआ। भाव भी आकर्षक मिले। इस वर्ष 100 बीघा में बोवनी की है। उत्पादन 12 बीघा क्विंटल भी हो गया तो 1200 क्विंटल गेहूं के मालिक होंगे।


- घट्टिया तहसील के चकरावदा के बाहादुरसिंह आंजना बीते तीन वर्ष से काले गेहूं की पैदावार कर रहे हैं। शुरुआत में तीन बीघा में बोवनी की थी। उत्पादन 45 क्विंटल हो गया। अब 50 बीघा में काला गेहूं लहराने लगा है


चिंतामन जवासिया के किसान निहालसिंह ने भी बीते दो सालों से काले गेहूं की खेती शुरू की है। अब तक पैदा हुए गेहूं को बीज के रूप में 10 से 15 हजार रुपए क्विंटल बेच चुके हैं। इस वर्ष बोवनी का रकबा 40 बीघा कर दिया है। सीजन में उत्पादित गेहूं मंडी में लाने की योजना है


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