Header Ads Widget

Responsive Advertisement

मध्यप्रदेश में 99 फीसदी खदानें सरेंडर, स्टॉक भी खत्म, अब रेत का संकट


 मध्यप्रदेश में रेत को लेकर मारामारी शुरू होने की आशंका जताई जा रही है। नई रेत नीति आने के बाद 99 फीसदी खदानें सरेंडर होने और बारिश से पहले किया गया स्टॉक खत्म होने के बाद रेत का संकट खड़ा हो गया है। वर्तमान में सिर्फ 65 खदानों से रेत सप्लाई हो रही है। इससे बाजार की मांग पूरी करना संभव नहीं है। उधर, खदानों की नीलामी की प्रक्रिया 26 नवंबर तक चलना है और आवंटन दिसंबर अंत तक। इसके बाद पर्यावरण और माइनिंग स्वीकृति लेने में ठेकेदारों को छह माह लग जाएंगे। इसे देखते हुए भविष्य में रेत को लेकर समस्या खड़ी हो सकती है।


प्रदेश में एक करोड़ 50 लाख घनमीटर रेत की जरूरत होती है। नई नीति में प्रदेश में चार करोड़ घनमीटर रेत का स्टॉक बताया गया है, लेकिन खदानों की नीलामी में देरी और नई नीति आते ही ग्राम पंचायत और खनिज कॉर्पोरेशन की पुरानी खदानें सरेंडर किए जाने से हालात बिगड़ गए हैं। इतने पर ही बारिश से पहले किया गया स्टॉक भी खत्म हो गया है। ऐसे में रेत नहीं मिल रही। इस कारण रेत के दाम भी बढ़ रहे हैं। राजधानी में बारिश में 100 फीट रेत छह हजार रुपए में बिकी है। अभी रेट कम होगा 3600 रुपए 100 फीट तक आए थे, लेकिन फिर से इसमें उछाल आ रहा है। रेत कम आने के कारण थोक व्यापारियों ने दाम बढ़ाना शुरू कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि नई रेत नीति के तहत प्रदेश में 1400 से ज्यादा रेत खदानों की नीलामी की जा रही है। सरकार 43 क्लस्टर बनाकर खदानें नीलाम कर रही है।


निजी जमीन से रेत समेटने के आवेदन आए


सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्टरों को निजी भूमि में इकठ्ठी रेत समेटकर बेचने के आवेदन मिले हैं। आवेदनों की संख्या 50 से ज्यादा बताई जा रही है। आवेदनों में बताया गया है कि बाढ़ के पानी के साथ बहकर आई रेत उनके खेतों में जम गई है। यह एक घनमीटर से कम है। ज्यादातर कलेक्टरों ने ऐसे प्रस्ताव शासन को भेज दिए हैं। शासन स्तर से मंजूरी के बाद पर्यावरण स्वीकृति लेकर किसान अपने खेत में पड़ी रेत बेच सकेंगे।


बारिश बाद ही शुरू हो पाएंगी खदान वैसे तो वर्ष 2020 के शुरुआती महीनों में नई खदानें शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन खदानों की पर्यावरण और माइनिंग स्वीकृति ठेकेदारों को लेना है। इसमें छह माह या उससे भी ज्यादा का समय लग सकता है। ऐसे में नई खदानें अगले साल भी बारिश के बाद ही शुरू हो पाएंगी, क्योंकि 15 जून के बाद बारिश का मौसम शुरू हो जाएगा और नदियों में पानी आने से खदानें बंद हो जाएंगी।


 


 


 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ