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भोपाल 42 लाख हेक्टेयर जमीन सरकारी रिकॉर्ड से गायब


भोपाल। सरकारी जमीनों के रिकॉर्ड में एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। राजस्व विभाग के हाल ही में जारी किए गए एक पत्र से यह सामने आया है कि प्रदेश में 42 लाख हेक्टेयर व भोपाल में 65 हजार हेक्टेयर जमीन सरकारी रिकॉर्ड से गायब हो गई है। अब सवाल यह उठता है कि अधिकारियों ने बड़ी रकम लेकर यह जमीन कहीं भू-माफियाओं के हवाले तो नहीं कर दी? हालांकि, अब इस बात का अभियान चलाकर पता लगाया जा रहा है। इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों को पत्र भी लिखा गया है। वहीं कलेक्टरों ने अपने जिले के सभी तहसीलदारों को पत्र लिखकर 10 दिन के अंदर गायब हुए जमीन के रिकॉर्ड का पता लगाने का आदेश दिया है। यह पूरी जमीन सन 1980 से 2000 के बीच सरकारी रिकॉर्ड से गायब हुई है।


भोपाल में 1980 से 2000 के बीच गायब हुई जमीन


भोपाल में 1980 में 2 लाख 70 हजार 771 हेक्टेयर सरकारी जमीन थी, जो वर्ष 2000 में घटकर 2 लाख 5 हजार 571 हेक्टेयर ही रह गई है। भोपाल में 65 हजार हेक्टेयर सरकारी जमीन का रिकॉर्ड गायब है। भोपाल कलेक्टर ने सभी तहसील और सर्किलों के अधिकारियों को पत्र लिखकर एक सप्ताह में जांच कर 1980 से लेकर अब तक का रिकॉर्ड खंगालने के आदेश जारी कर दिए हैं। राजस्व विभाग के अधिकारियों की मानें तो गायब हुई जमीन का रिकॉर्ड पता करने के लिए हर गांव की निजी जमीन, वन भूमि व सरकारी जमीन व निजी खातों की जमीनों के खसरे तलाशे जा रहे हैं। वहीं राजस्व रिकॉर्ड अपडेट करने के निर्देश भी दिए गए हैं।


हर साल सीएलआर को जाता है जिलों की जमीनों का चिठ्ठा


नियमों के अनुसार हर जिले के कलेक्टर और अधीक्षक भू-अभिलेख को हर साल शहर में कितनी सरकारी जमीन आवंटित की गई, कितनी जमीन निजी खसरों में दर्ज की गई, कितने को पट्टे बांटे गए, सिंचित जमीन कितनी है सहित अन्य जानकारियों का एक चिठ्ठा बनाकर आयुक्त भू-अभिलेख को रिपोर्ट भेजी जाती है। इसमें ही सही तरीके से जानकारी अपडेट की जाती तो इस बात का खुलासा पहले ही हो जाता।


यह उठ रहे हैं सवाल


 


 


- मौके पर जमीन निजी तो नहीं हो गई ?


 


 


- राजस्व रिकॉर्ड से जमीन किसने गायब की?


 


 


- इतने साल तक जमीन की जांच क्यों नहीं की गई, गड़बड़ी चलती रही लेकिन किसी को पता क्यों नहीं चला?


 


- राजस्व रिकॉर्ड से जमीन के गायब होने की मुख्य वजह क्या है?


किसे लाभ पहुंचाने के लिए या किसे नुकसान पहुंचाने के लिए यह जमीन गायब की गई है?


कुछ गड़बड़ी है, इसलिए शुरू की जांच


 


1980 से 2000 के बीच वन विभाग और राजस्व विभाग की कुछ जमीनों को लेकर गड़बड़ियां हुई हैं, इसलिए यह जांच की जा रही है। जमीन तो मौके पर है, लेकिन किसके खाते में दर्ज है इसका पता लगाया जा रहा है।


मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव राजस्व


 


 

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