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नर्मदा परिक्रमा मार्ग पर यात्रियों को ठहराने बन रहे 'मिड वे कॉटेज'


नर्मदा परिक्रमा करने वाले यात्रियों को अगले साल तक रात्रि विश्राम के लिए सरकार नौ स्थानों पर 'तीर्थ यात्री मिड वे कॉटेज' का निर्माण करवा रही है। कॉटेज में महिला-पुरुष परिक्रमावासियों को रात में ठहरने का इंतजाम रहेगा। इनके अलावा नलखेड़ा, ओरछा और रतनगढ़ में तीर्थ यात्री सेवा सदन भी बनाए जा रहे हैं। दिसंबर 2020 तक इनका निर्माण पूरा करने लक्ष्य रखा गया है। अध्यात्म विभाग ने नर्मदा किनारे और प्रदेश के प्रमुख तीर्थ बगलामुखी देवी स्थल नलखेड़ा, रामराजा सरकार की नगरी ओरछा और रतनगढ़ देवी मंदिर के पास तीर्थ यात्री सेवा सदन के लिए डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया है। परिक्रमावासी यात्रियों के लिए नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक के अलावा महेश्वर व देवास जिले में एक-एक और उज्जैन जिले में दो कॉटेज बनाने की योजना है। नरसिंहपुर जिले में बरमानघाट सहित चार स्थानों पर परिक्रमावासियों के लिए कॉटेज में ठहरने की सुविधा मिलेगी। नर्मदा नदी के किनारे लगने वाले अन्य स्थानों पर यह सुविधा शुरू की जाएगी।


सरकार ने इन भवनों की डिजाइन का काम जबलपुर के वास्तुविद् आशीष श्रीवास्तव को सौंपा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि भवनों का इंटीरियर इस तरह रखा जा रहा है, जिसमें प्रदेश की संस्कृति की झलक दिखे। बाह्य एलीवेशन में आकर्षक लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा। मिड-वे कॉटेज में दस-दस महिला और पुरुष यात्रियों के लिए 'डॉरमेट्री' बनाई जा रही हैं। दोनों के बीच में लॉबी के रूप में बड़ा हवा और रोशनीदार आंगन रहेगा। किचन और केंटीन के साथ दिव्यांग यात्रियों की सुविधा का ध्यान भी रखने को कहा गया हैकरीब डेढ़ हजार वर्गफीट क्षेत्र में बनने वाले इस भवन के लिए 15 से 20 लाख रुपए का बजट रखा गया है। तीर्थयात्री सेवा सदन का बजट मिड-वे कॉटेज की तुलना में करीब तीन-चार गुना अधिक मंजूर हुआ है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इन तीर्थ स्थलों पर यात्रियों को सर्वसुविधायुक्त आश्रय स्थल उपलब्ध कराने का एलान किया था, अध्यात्म विभाग ने उसी संदर्भ में यह प्रोजेक्ट हाथ में लिया है।


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