इंदौर हुकमचंद मिल की 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीन बेचने की राह आसान हो गई है। सोमवार को शासन ने कोर्ट को बताया कि जमीन का लैंड यूज बदल दिया गया है। अब तक इसका लैंड यूज औद्योगिक था, जिसे बदलकर आवासीय और वाणिज्यिक कर दिया गया है। शासन ने इस संबंध में जारी नोटिफिकेशन की कॉपी भी प्रस्तुत की। करीब 26 साल पहले मिल बंद होने के बाद से मिल के पांच हजार से ज्यादा मजदूर वेतन, ग्रेच्युटी और अन्य लेनदारियों के लिए भटक रहे हैं। कोर्ट ने मिल की जमीन बेचकर मजदूरों का भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन जमीन का लैंड यूज औद्योगिक होने से वह बिक नहीं पा रही है।
कई बार नीलामी भी निकाली गई, लेकिन कोई कोई खरीदार सामने नहीं आया। इस पर मजदूरों की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट धीरजसिंह पवार ने गुहार लगाई थी कि जमीन का लैंड यूज बदलकर आवासीय और वाणिज्यिक कर दिया जाए ताकि जमीन बिक सके और मजदूरों को भुगतान हो सके। मजदूरों में खुशी : पिछली सुनवाई में शासन की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि लैंड यूज बदलने की प्रक्रिया चल रही है। एडवोकेट पवार ने बताया कि सोमवार को शासन ने कोर्ट को बताया कि मिल की जमीन का लैंड यूज बदल दिया गया है। इस संबंध में नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है
मजदूरों की तरफ से कोर्ट से गुहार लगाई गई कि मामले की अगली सुनवाई जल्द की जाए ताकि जमीन बेचने की प्रक्रिया आगे बढ़ सके। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 22 अक्टूबर तय कर दी। मजदूर नेता हरनामसिंह धालीवाल, नरेंद्र श्रीवंश आदि ने बताया कि जमीन का लैंड यूज बदलने की खबर मिलने के बाद मजदूरों में खुशी है। उन्हें विश्वास है कि अब उन्हें अपना भुगतान मिल जाएगा।
17.52 हेक्टेयर का बदला लैंड यूजशासकीय रिकॉर्ड के मुताबिक मिल के पास कुल 17.956 हेक्टेयर जमीन है। इसमें से 17.52 हेक्टेयर जमीन का लैंड यूज बदला गया है। इसमें से 10.768 हेक्टेयर जमीन का लैंड यूज वाणिज्यिक और 6.752 हेक्टेयर जमीन का लैंड यूज आवासीय होगा
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