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एनजीओ पर सख्त सरकार, विभागों से मांगा 15 साल का लेखा-जोखा


 हनीट्रैप मामले में एनजीओ की भूमिका पर उठे सवालों को देखते हुए सरकार अब इन पर सख्त निगरानी रखेगी। इसके लिए ना सिर्फ निगरानी तंत्र नए सिरे से बनाया जाएगा बल्कि विभागों द्वारा दिए जाने वाले कामों को लेकर भी स्पष्ट गाइडलाइन बनाई जाएगी। इसके मद्देनजर गैर सरकारी संस्थाएं (एनजीओ) का 15 साल का लेखा-जोखा देखा जाएगा। वित्त विभाग ने सभी विभागों को दोबारा पत्र लिखकर 11 नवंबर तक समीक्षा की कार्यप्रणाली से लेकर अनुदान की पूरी जानकारी मांगी है।


वित्त विभाग के संचालक बजट नीरज कुमार सिंह ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को पत्र लिखकर एनजीओ को पिछले 15 साल में दिए गए अनुदान, उपयोगिता प्रमाण पत्र, भौतिक उपलब्धि और समीक्षा की विभागीय कार्यप्रणाली का ब्योरा मांगा है


इसमें विभाग का नाम, जिस संस्था को अनुदान दिया उसका पूरा पता, पंजीयन नंबर, वर्ष, अनुदान राशि, जिस योजना में दिया अनुदान, किस काम के लिए दिए, उपयोगिता प्रमाण पत्र मिले या नहीं, जैसी जानकारी विभागों को देनी होगी। सूत्रों का कहना है कि सरकार वित्त विभाग अनुदान देने के लिए सभी विभागों के लिए एक मापदंड बनाना चाहती है, जिससे अनुचित फायदा पहुंचाने जैसे आरोप न लगें।


एनजीओ की ग्रेडिंग भी होगी


सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में एनजीओ की भरमार को देखते हुए सरकार ग्रेडिंग व्यवस्था भी लागू करेगी। यह काम पहले जन अभियान परिषद को दिया गया था लेकिन उसने कोई काम नहीं किया। योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय ने जरूरी सर्वे कराया था लेकिन उसमें भी बड़ी संख्या में एनजीओ का कोई अता-पता नहीं मिला। कई संस्था पंजीकृत तो हैं पर वे क्रियाशील नहीं हैं। ऐसी संस्थाओं का पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी। किस स्तर के एनजीओ को क्या काम विभाग देंगे, इसको लेकर भी दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे


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