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शहर से लगे ग्राम लक्ष्मीपुर बंजारी की एक छात्रा आयस्टर मशरूम का उत्पादन कर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है


शहर से लगे ग्राम लक्ष्मीपुर बंजारी की एक छात्रा आयस्टर मशरूम का उत्पादन कर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। छात्रा की मां और बड़ी बहन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। एक बहन स्वास्थ्य विभाग में सेवा दे रही है। बड़ी बहनों के विवाह के बाद वह खुद को आत्मनिर्भर बनाने की सोच बनाकर कक्षा 12वीं की परीक्षा देने के बाद 15 दिवसीय निःशुल्क कौशल विकास प्रशिक्षण वर्ष 2017 में प्राप्त की।


लक्ष्मीपुर बंजारी निवासी निशा लकड़ा पिता राजपाल लकड़ा 24 वर्ष के पास मशरूम उत्पादन के लिए उसके पास रुपये नही थे। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 20 हजार रुपये लोन प्राप्त करने उसने आवेदन भरा, लेकिन दो वर्ष बाद भी उसे शासकीय सहायता राशि नही मिल पाई है


लोन के आवेदन पर किसी प्रकार की सुनवाई नही होने पर जनवरी 2018 में वह बचत के पैसे का उपयोग कर एक परिचित के माध्यम से मशरूम उत्पादन के लिए आवश्यक सामान मंगवाई और घर के एक कमरे की रिजर्व कर मशरूम का उत्पादन करने अकेले भिड़ गई।


 


समय के साथ एक दिन में 10-11 किलो मशरूम के उत्पादन से उसका मनोबल बढ़ा और लगभग पांच सौ पैकेट तैयार कर टांग दिया। रायपुर से आयस्टर मशरूम के लिए बीज मंगाना उसके लिए आसान नही था। फिर भी वह हिम्मत नहीं हारी और एक-एक किलो का 23 पैकेट बीज साथ में मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिए संतोष नागवंशी की मदद से तीन हजार 930 रुपये में मंगवाने के बाद रूम टेम्परेचर मीटर मंगवाई औऱ मशरूम उत्पादन मंजिल तक पहुंच गई।


19 दिन में 90 दिन की ट्रेनिंग के बाद पांच माह लोन के इंतज़ार के बीच एक पल के लिए उसे ऐसा लगा जैसे वह कुछ भूल रही हो, लेकिन बीच बीच में दस-बीस रुपये का बीज मंगाकर वह कड़ी दर कड़ी उत्पादन में लगी रही।


 


मेहनत रंग लाई और छिटपुट उत्पादन के उसने बड़े स्तर पर टांगे गए मशरूम उत्पादन बैग से रोजाना 10 से 11 किलो मशरूम प्राप्त करना शुरू किया। इसकी बिक्री से होने वाली आय के बाद वह 35 हजार रुपये सकल आय अर्जित कर खुद इतना सक्षम हो गई कि अब उसे मशरूम उत्पादन के लिए शासकीय सहायता की जरूरत नहीं है।


इस बार एक हजार बैग टांगने का लक्ष्य


 


 


ट्रेनर डॉ प्रशांत शर्मा के द्वारा दिए गए बीस रुपये के बीज और रायपुर से मंगाए गए 30 रुपये के बीज से 6 बैग में मशरूम उत्पादन शुरू की निशा ने इस बार एक हजार बैग टांगने का लक्ष्य रखा है। शुरुआती दौर में 6 बैग मशरूम के उत्पादन में उसने 600 रुपए अर्जित किया था। इसके बाद पूरे आत्मविश्वास के साथ मशरूम उत्पादन का कार्य शुरू की निशा अब एक टारगेट के साथ मशरूम उत्पादन की तैयारी में अभी से भिड़ गई है।


 


मशरूम बिक्री करने निकल जाते थे पिता


 


 


मशरुम उत्पादन कार्य में दिन-रात लगे रहने वाली बेटी की मेहनत और लगन को देखकर देखकर उसके पिता राजपाल लकेड़ा ने साथ दिया और मशरूम के तैयार किए गए पैकेट को वे लक्ष्मीपुर, जगदीशपुर गांव तक पहुंचाने लगे। ताजा मशरूम घर की दहलीज में मिलने के कारण मांग इतनी बढ़ गई कि उसे पूरा कर पाना मुश्किल था।


प्रतिदिन 10 से 15 किलो मशरूम वे लोगों के घर-घर तक पहुंचाते थे, जिससे रोजाना की आवक पांच से सात सौ रुपये के बीच होने लगी। दुकानों में भी आयस्टर मशरुम की मांग लोग करने लगे, लेकिन शुरुआती दौर होने के कारण मांग पूर्ति संभव नहीं हो पाया


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