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16 तरह के ड्राय फ्रूट को मंडी टैक्स के दायरे में लाने का मन बना लिया है। ऐसा करने वाला मप्र देश का पहला राज्य बन जाएगा


 मिलावट के चलते मावे की मिठाइयों से दूरी बनाकर सेहतमंद सूखे मेवे को अपना चुके लोगों को सरकार झटका देने की तैयारी में है। उसने 16 तरह के ड्राय फ्रूट को मंडी टैक्स के दायरे में लाने का मन बना लिया है। ऐसा करने वाला मप्र देश का पहला राज्य बन जाएगा। इससे दशहरा-दीपावली की मिठाइयों से लेकर गिफ्ट पैक पर महंगाई की मार पड़ेगी। देश की प्रमुख थोक ड्राय फूट मंडी में शुमार इंदौर के सियागंज का कारोबार भी संकट में पड़ जाएगा।


किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने 14 अगस्त को राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कर 16 ड्राय फ्रूट को कृषि उपज मंडी के अंतर्गत अधिसूचित करने की सूचना जारी की है। राजपत्र की अधिसूचना के मुताबिक प्रस्ताव पर आपत्ति के लिए कारोबारियों को छह सप्ताह का समय दिया गया है। मंडी में अधिसूचित होने के बाद इन पर डेढ़ प्रतिशत टैक्स लागू होना तय माना जा रहा है। सरकार के इस प्रस्ताव से इंदौर के किराना कारोबारी हैरान और नाराज हैं। असल में इंदौर का थोक किराना बाजार सियागंज मप्र में ड्राय फ्रूट के व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र भी है


दिल्ली-मुंबई के बाद इंदौर को ड्राय फ्रूट के कारोबार में तीसरे नंबर पर गिना जाता है। दरअसल, इंदौर के बाजार ड्राय फ्रूट के बड़े आयातक हैं जो सीधे विदेश से सूखा मेवा मंगवाकर देशभर के बाजारों में सप्लाई कर रहे हैं।


शनिवार को सियागंज होलसेल किराना व्यापारी एसोसिएशन की एक बैठक बाजार में बुलाई गई। व्यापारियों ने सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया। बैठक में व्यापारियों ने कहा कि सरकार ने अभी भले ही आपत्ति लगाने का समय दिया है, लेकिन होगा यही कि छह सप्ताह बाद एक पंक्ति की नई अधिसूचना जारी कर दी जाएगी कि आपत्तियां खारिज कर दी गईं। इसके साथ ड्राय फ्रूट को भी कृषि उपज करार देकर टैक्स लगा दिया जाएगासियागंज होलसेल किराना व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल के अनुसार सरकार का प्रस्ताव पूरी तरह गलत है। जिन ड्राय फ्रूट को कृषि उपज मंडी के दायरे में लाकर टैक्स लगाने की तैयारी की गई है, उनमें से लगभग सभी ऐसे हैं जो प्रदेश तो क्या देश में भी पैदा नहीं होते। ऐसे में इन पर मंडी टैक्स कैसे लागू हो सकता है। डेढ़ फीसदी टैक्स से व्यापार का गणित गड़बड़ा जाएगा


प्रदेश और इंदौर के ड्राय फ्रूट कारोबारी खत्म हो जाएंगे। देश के किसी भी प्रदेश में इन वस्तुओं पर कहीं भी मंडी टैक्स नहीं लगा है। हैरानी है कि मप्र सरकार ऐसा क्यों कर रही है। मंदी के दौर में अब प्रदेश शासन का यह फैसला व्यापार की कमर तोड़ देगा। इंदौर का कारोबार खत्म होकर आसपास के प्रदेशों में शिफ्ट हो जाएगा। खंडेलवाल के अनुसार पांच सितंबर को प्रदेश के 32 प्रमुख शहरों के किराना-ड्राय फ्रूट बाजारों के डेढ़ सौ से ज्यादा प्रतिनिधि इस मुद्दे पर इंदौर में इकट्ठा होंगे। सभी मिलकर शासन के प्रस्ताव के विरोध की रूपरेखा तय करेंगे।


इन पर लगेगा टैक्सराजपत्र में 16 ड्राय फ्रूट को कृषि उपज श्रेणी में लाने का उल्लेख करते हुए नौ ड्राय फ्रूट के नाम लिखे गए हैं। इनमें बादाम, काजू, किशमिश, काली किशमिश, अंजीर, अखरोट, खुबानी, खजूर, खारक, पिस्ता शामिल हैं। संख्या के हिसाब से चिलगोजे, तरबूज मगज और बाजार में उपलब्ध अन्य तरह के ड्राय फ्रूट भी इस श्रेणी में आना तय है। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मेवे विदेश से आयात कर बाजार में बेचे जा रहे हैं


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