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व्हीट ब्लास्ट' बीमारी भारत की फूड सिक्युरिटी के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है


भारत ने गेहूं में पाई जाने वाली व्हीट रस्ट बीमारी पर अच्छी तरह से नियंत्रण कर लिया है, लेकिन इस समय देश के सामने सबसे बड़ा खतरा है 'व्हीट ब्लास्ट' बीमारी का। 2015-16 में इस बीमारी ने बांग्लादेश में पैर पसारे हैं। भारत में भी इसकी आशंका को नकारा नहीं जा सकता। यह भारत की फूड सिक्युरिटी के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है, इसलिए समय रहते इससे निपटने की पूरी रणनीति तैयार करनी चाहिए।


यह बात मैक्सिको के इंटरनेशनल मेज एंड व्हीट इंप्रूवमेंट सेंटर (सिमिट) से आए वैज्ञानिक डॉ. रवि पी सिंह ने कही। डॉ. सिंह ने बताया कि भारत ने इसके लिए जो 'व्हीट हॉलिडे' नीति अपनाई है, वह बहुत ज्यादा असरदायक नहीं दिखती। इसकी जगह कुछ दूसरे तरीके भी निकालने चाहिए। ऐसी किस्में विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए जो इस बीमारी का सामना कर सकें


भारत के सामने कृषि को लेकर चुनौतियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से मौसम में बदलाव हो रहा है, उसे देखते हुए इस समय देश के सामने ऐसी किस्में तैयार करने की चुनौतियां हैं जो सूखा, बाढ़ और ज्यादा तापमान को सहन कर सकें। थोड़ा सा तापमान कम-ज्यादा होने पर उत्पादन पर भारी असर दिखता है। इस तरह की किस्में तैयार हो रही हैं लेकिन इन्हें और तेजी से विकसित करना होगा।


यील्ड गैप को खत्म करना होगा


भारत में गेहूं-दलहन सभी में उत्पादकता तो बढ़ रही है, लेकिन फिर भी बहुत से लोग अब भी अनाज प्राप्त नहीं कर पा रहे। इसकी वजह कहीं उत्पादन बहुत ज्यादा तो कहीं बहुत कम होना है। इसका समाधान यील्ड गैप को खत्म करना होगा। तकनीकों के उपयोग से हम कृषि में बहुत तरक्की कर सकते हैं, लेकिन इन्हें छोटे किसानों तक पहुंचाना होगा। जब तक किसान जागरूक नहीं होंगे, उत्पादन नहीं बढ़ सकेगा। सरकार ही सब कुछ नहीं कर सकती। इसके लिए प्रगतिशील किसानों को आगे आना होगा। वे जगह-जगह जाकर दूसरे छोटे किसानों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। प्राइवेट सेक्टर को भी इसमें आना होगा।


आयातित फसलें देश में उगाएं


कुछ फसलों में तो हम निर्यात करने की स्थिति में हैं, वहीं कुछ का आयात कर रहे हैं, जबकि इनका भी उत्पादन देश में हो सकता है। इसके लिए जिन फसलों का क्षेत्र ज्यादा है, उन्हें कम करके दूसरी फसलें लगाई जानी चाहिए। जैसे गेहूं का सरप्लस उत्पादन है तो उसे कुछ कम क्षेत्र में करके उसकी जगह दूसरी अधिक आय देने वाली फसलें उत्पादित की जा सकती हैं।


मप्र, गुजरात को स्प्रिंकलर सिंचाई पर देना होगा ध्यान


कुछ फसलों में तो हम निर्यात करने की स्थिति में हैं, वहीं कुछ का आयात कर रहे हैं, जबकि इनका भी उत्पादन देश में हो सकता है। इसके लिए जिन फसलों का क्षेत्र ज्यादा है, उन्हें कम करके दूसरी फसलें लगाई जानी चाहिए। जैसे गेहूं का सरप्लस उत्पादन है तो उसे कुछ कम क्षेत्र में करके उसकी जगह दूसरी अधिक आय देने वाली फसलें उत्पादित की जा सकती हैं।


मप्र, गुजरात को स्प्रिंकलर सिंचाई पर देना होगा ध्यानयह गेहूं की फंगल बीमारी है जो मेग्नापोर्थे ओराइजे ट्रिटिकम पैथोटाइप द्वारा होती है। यह बीज और हवा दोनों के माध्यम से पहुंचती है। इससे फसल पूरी तरह से खराब हो जाती है। सबसे पहले यह बीमारी पराना स्टेट ऑफ ब्राजील में हुई थी। 2016 में पहली बार दक्षिण अमेरिका से बाहर इसकी उपस्थिति बांग्लादेश में पता चली


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