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राम जन्मभूमि के राजस्व रिकॉर्ड में हुई है छेड़छाड़, आज पेश होंगे सबूत


अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में बुधवार को चौदहवें दिन की सुनवाई जारी रही। इस दौरान अखिल भारतीय श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने सुप्रीम कोर्ट में बताया है कि राम जन्मभूमि के राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ हुई है और समिति के वकील गुरुवार को कोर्ट में इसके प्रमाण पेश करेंगे। इन पर सुनवाई कर रही पीठ ने वकील पीएन मिश्रा से कहा कि समिति उन दस्तावेजों का संदर्भ कोर्ट को बताएं जिन पर भरोसा कर वह ये दलीलें दे रहे हैं।


ऐसे चला सवाल-जवाब का दौर


बुधवार को पीएन मिश्रा और रंजना अग्निहोत्री ने पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष समिति का पक्ष रखा। मिश्रा ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद न होने के अपने दावे को साबित करने के लिए बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी, हुमायूनामा, तुर्के जहांगीरी का जिक्र किया और कहा कि इन पुस्तकों में अयोध्या में मस्जिद होने की बात नहीं कही गई है


बकौल मिश्रा, बाबर न तो अयोध्या आया था और न ही उसने वहां मस्जिद बनवाई थी। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि अगर बाबर ने वहां मस्जिद नहीं बनवाई थी तो जो विवादित ढांचा था उसे किसने बनवाया था। इस पर मिश्रा ने कहा कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनवाई थी।


कोर्ट ने कहा कि इसे छोड़िए। आप यह बताइए कि आपका जन्मस्थान पर दावा कैसे बनता है? मिश्रा ने कहा कि अगर कोर्ट उनकी दलील स्वीकार कर लेता है तो सुन्नी वक्फ बोर्ड का केस खत्म हो जाएगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपने मुकदमे में वहां बाबरी मस्जिद घोषित करने की मांग की है और विवादित ढांचा ढहने के बाद उन्होंने अपने मुकदमे में संशोधन करने के बाद वहां का कब्जा मांगा है


इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने सवाल किया कि क्या आपने मुकदमे की मांग में संशोधन का विरोध किया था। इस पर मिश्रा का जवाब था, वह सुप्रीम कोर्ट में उसका विरोध कर रहे हैं। तभी जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि वह इस बात पर भी विचार करेंगे कि जब विवादित ढांचा ढह गया तो उनकी मांग का क्या मतलब रह जाता है और मुकदमे में की गई संशोधित मांग के क्या मायने होंगे।


वहीं वकील रंजना अग्निहोत्री का कहना है कि हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान विस्तृत तौर पर यह मुद्दा उठा था और पूरा संदर्भ दर्ज है। 2007 में हाई कोर्ट में एक अर्जी दी गई थी जिसमें राजस्व रिकॉर्ड (बंदोबस्त) में छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया। इस पर हाई कोर्ट ने जांच का आदेश दिया थारंजना कहती हैं कि मामले की फारेंसिक जांच विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ में हुई जिसकी रिपोर्ट में निदेशक ने कहा कि विभिन्न स्याही में विभिन्न लिखावट में शब्द जामा मस्जिद और मस्जिद बढ़ाया गया है। रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया कि जिस व्यक्ति ने दस्तावेज तैयार किए हैं उस व्यक्ति ने ये शब्द जामा मस्जिद और मस्जिद नहीं लिखा था


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