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प्रदेश के सभी 10 नेशनल पार्कों में ठोस अपशिष्ठ और पॉलीथिन से निजात पाने के लिए सरकार डिस्पोजल प्लांट लगाएगी। इस पर करीब 14 लाख रुपए खर्च होंगे


प्रदेश के सभी 10 नेशनल पार्कों में ठोस अपशिष्ठ और पॉलीथिन से निजात पाने के लिए सरकार डिस्पोजल प्लांट लगाएगी। इस पर करीब 14 लाख रुपए खर्च होंगे। कचरे की उपलब्धता के हिसाब से प्लांट हफ्ते में एक या दो दिन काम करेंगे। वन विभाग की वन्यजीव इकाई ने संबंधित पार्क प्रबंधन को प्लांट के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं। विभाग का तर्क है कि इससे संरक्षित क्षेत्रों में भू-जलस्तर को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।


प्रदेश में दस नेशनल पार्क और 25 अभयारण्य हैं। इनमें से पहले चरण में नेशनल पार्कों में ठोस अपशिष्ठ और प्लास्टिक डिस्पोजल प्लांट लगाए जा रहे हैं। हालांकि नेशनल पार्कों में इतना अपशिष्ठ नहीं निकल रहा है कि रोज प्लांट चलाना पड़े, लेकिन प्लांट लगाने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है


इसलिए वन मुख्यालय ने संबंधित नेशनल पार्क संचालकों से कहा है कि वे विकास निधि से प्लांटों का निर्माण शुरू कराएं और कचरा ज्यादा नहीं निकलने की स्थिति में हफ्ते में एक या दो बार प्लांट का संचालन करें।


उल्लेखनीय है कि ठोस अपशिष्ठ और प्लास्टिक नेशनल पार्कों के लिए बड़ी समस्या बन चुकी है। पार्कों की सैर करने वाले पर्यटक अपने साथ पानी की बॉटल और अन्य प्लास्टिक का सामान लाते हैं, जो उपयोग के बाद वहीं फेंक आते हैं। इससे वन्यप्राणियों को नुकसान होता है


पेंच में पंचायत का प्लांट


कान्हा, बांधवगढ़ के अलावा पेंच नेशनल पार्क में वर्तमान में ठोस अपशिष्ठ और प्लास्टिक के डिस्पोजल की व्यवस्था है। कान्हा और बांधवगढ़ पार्कों में ज्यादा पर्यटक आते हैं इसलिए पार्क प्रबंधन प्लांट लगा चुका है, जबकि पेंच नेशनल पार्क प्रबंधन नजदीक ही पंचायत द्वारा लगाए गए प्लांट का इस्तेमाल करता हैअब पन्ना के पन्ना, होशंगाबाद के सतपुड़ा, सीधी के संजय दुबरी, शिवपुरी के माधव, भोपाल के वन विहार नेशनल पार्क में पहले प्लांट लगाए जाएंगे। फिर फॉसिल नेशनल पार्क डिंडोरी, डायनासोर जीवाश्म नेशनल पार्क धार का नंबर आएगा


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