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मध्य क्षेत्र स्थित आड़ा बाजार का राधा-कृष्ण मंदिर कृष्ण भक्तों के लिए खास हैयहां राधारानी संग विराजे हैं कसौटी पत्थर से बने श्रीकृष्ण


शहर के मध्य क्षेत्र स्थित आड़ा बाजार का राधा-कृष्ण मंदिर कृष्ण भक्तों के लिए खास है। यहां संगमरमर की राधारानी के संग सोने को परखने वाले कसौटी के पत्थर से बने भगवान कृष्ण मंदिर में विराजित हैं। मंदिर प्रबंधन के अनुसार यह प्रदेश का 250 साल पुराना ऐसा एकमात्र मंदिर है जहां कसौटी के पत्थर से निर्मित भगवान कृष्ण की मूर्ति है। मंदिर में डेढ़ फीट की राधा-कृष्ण की मूर्ति है। हर वर्ष जन्माष्टमी पर भगवान का हीरे जड़ित वस्त्रों के साथ महंगे रत्न वाली मालाओं और स्वर्ण आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है। शहर के व्यापारिक क्षेत्र में होने के बावजूद राधाकृष्ण मंदिर ट्रस्ट ने इसके पुराने स्वरूप को बरकरार रखा है।


पांच हजार वर्ग फीट में बना मंदिर आज भी वैसा ही नजर आता है, जैसा निर्माण के समय था। मंदिर का निर्माण लकड़ियों से किया गया है। ट्रस्टी मानवेंद्र त्रिवेदी बताते हैं कि मंदिर का निर्माण होलकर राजवंश के दीवान लक्ष्मीनारायण त्रिवेदी ने कराया था। यहां स्थित पानी के कुंड से भगवान कृष्ण की मूर्ति निकली थी। विष्णु महायज्ञ का आयोजन कर 51 ब्राह्मणों ने विधि-विधान से भगवान की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया था। इसके बाद वर्ष में एक बार बैंक के लॉकर से निकालकर भगवान का हीरे-जवाहरात और स्वर्ण आभूषणों से जन्माष्टमी पर श्रृंगार किया जाता है। इसमें उनके पास हीरे जड़ित आभूषणों के साथ महंगी हीरेमोती की मालाएं और स्वर्ण मुकुट व अन्य आभूषण शामिल हैं


इसलिए नाम पड़ा आड़ा बाजार, आए चारों पीठों के शंकराचार्य : ट्रस्टी अक्षय त्रिवेदी बताते हैं कि पंढरीनाथ चौराहा स्थित पंढरीनाथ मंदिर में दर्शन के लिए अहिल्या माता इस मंदिर के सामने से दर्शन कर गुजरती थीं। एक दिन जब गाय ने उनका आड़े खड़े होकर रास्ता रोका, तब से इस रास्ते का नाम आड़ा बाजार पड़ गया। होलकर वंश के राजा-महाराज के साथ इस मंदिर में चारों पीठों के शंकराचार्य भी समयसमय पर दर्शन करने आए हैं। शहर के चुनिंदा कृष्ण मंदिरों में सर्वधर्म समभाव की झलक भी देखने को मिलती है।


आड़ा बाजार स्थित मंदिर में भगवत गीता और कुरआन साथ-साथ रखी जाती है। इनका साथ-साथ पूजन भी होता है। कुरान अरबी, संस्कृत और हिंदी में है। ट्रस्टी पवन त्रिवेदी के अनुसार कुरआन भी गीता की तरह ग्रंथ है और हमारी मार्गदर्शक भी है। इसी तरह गोराकुंड में प्रणामी संप्रदाय का राधा-कृष्ण मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द्र का संदेश देता है। यहां गीता के श्लोक और कुरआन की आयतें लिखे ग्रंथों को राधा-कृष्ण का स्वरूप देकर पूजा जाता है


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