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बैंक से करोड़ों रुपए का ऋण लिया। कंपनी ने काम तो शुरू नहीं किया लेकिन ऋण के करीब सवा करोड़ रुपए हजम कर लिए

अरबों रुपए के जीएसटी घोटाले के आरोपित बने अकाउंटेंट देवेंद्र शर्मा के परिवार की कंपनी बैंक से भी धोखाधड़ी के आरोप में फंस गई है। घोटाले में नाम आने के बाद आत्महत्या करने वाले कर सलाहकार गोविंद अग्रवाल के लिए काम करने वाले देवेंद्र शर्मा का परिवार मिनर्वा ऑटोमोटिव नामक कंपनी का संचालन कर रहा था। इस कंपनी ने कारोबार शुरू करने के लिए बैंक से करोड़ों रुपए का ऋण लिया। कंपनी ने काम तो शुरू नहीं किया लेकिन ऋण के करीब सवा करोड़ रुपए हजम कर लिए।


खास बात ये कि बैंक से रुपए जारी होने के कुछ ही घंटों में 1 करोड़ 5 लाख रुपए की राशि अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर ठिकाने लगा दी गई। खाता उन कंपनियों के खातों में भी डाला गया जो जीएसटी घोटाले और बोगस बिलों के कामकाज के लिए चर्चा में आई हैं। शर्मा ने शिकायत की है कि बैंक के रुपए का बड़ा हिस्सा उसकी कंपनी के सीए ने हजम किया है


पीथमपुर की मिनर्वा ऑटोमोटिव कंपनी ने इलाहबाद बैंक से ऋण लिया था। बैंक ने ऋण की राशि के रूप में 2015 में 1 करोड़ 5 लाख रुपए जारी किए। 16 दिसंबर 2015 को बैंक से जारी रुपए अखिलेश इंटरप्राइजेस नामक फर्म के खाते में ट्रांसफर हुआ। इस फर्म में आए रुपए कुछ ही घंटों में अलग-अलग खातों में डाल दिए गए। इसमें 25 लाख रुपए 'रे एक्जिम' इंडिया नामक फर्म के खाते में डाले गए।


10 लाख रुपए 'यूरी इम्पेक्स' के खाते में ट्रांसफर किए गए। 60 लाख रुपए संजय सोडानी (एचयूएफ) के खाते में ट्रांसफर हुए। इसके अलावा मंत्री सरनेम वाले चार अलग-अलग लोगों के खाते में भी करीब 10 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए गए। इस तरह न तो कंपनी शुरू हुई, न ही बैंक के ऋण का सही मद में उपयोग किया गया। इलाहबाद बैंक ने कंपनी को चूककर्ता घोषित करते हुए सरफेसी एक्ट के तहत कंपनी की संपत्ति की कुर्की नीलामी और वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी है


घोटाले में बार-बार सामने आता है दो कंपनियों का नाम


चौंकाने वाली बात ये है कि मुंबई की बताई जा रही 'रे-एक्जिम इंडिया' और 'यूरी इम्पेक्स' इन दोनों कंपनियों का नाम जीएसटी घोटाले के दौरान बार-बार सामने आ रहा है। दरअसल घोटाले में सामने आ चुकी तमाम फर्जी फर्मों के बोगस बिलों और कमीशन का पैसा बार-बार उन दोनों कंपनियों में भेजा गया


पुलिस जांच में देरी


देवेंद्र शर्मा दरअसल कर सलाहकार गोविंद अग्रवाल के लिए काम कर रहा था। जीएसटी घोटाले में नाम सामने आने के बाद अग्रवाल आत्महत्या कर चुके हैं। वहीं देवेंद्र शर्मा के खिलाफ बीते दिनों विभाग में कई व्यापारी शिकायत कर चुके हैं कि उसने उनसे फर्म बनवाकर फर्जी बिलों का काम करवाया


बीते वर्ष ही पुलिस से शिकायत की थी


इस मामले में देवेंद्र शर्मा का कहना है कि मिनर्वा ऑटोमोटिव से मेरा सीधा संबंध नहीं है। मेरी पत्नी मीनाक्षी शर्मा कंपनी की निदेशक है। इधर कंपनी की निदेशक मीनाक्षी शर्मा के अनुसार ऋण की राशि हमने नहीं बल्कि कंपनी के सीए संजय सोढानी ने गबन कर ली है। पहले कंपनी आयशर मोटर्स के लिए सप्लायर का काम कर रही थी। धंधा मंदा होने के बाद हमने पॉलीयूरेथिन के प्लांट के लिए बैंक से ऋण लिया था। ऋण का प्रोजेक्ट कंपनी के सीए संजय सोढानी ने बनाया था। जब बैंक ने राशि जारी की तो करीब एक करोड़ 5 लाख रुपए अलग-अलग खातों के जरिए सीए सोढानी ने ट्रांसफर करवाकर हजम कर लिए


जीएसटी घोटाले की बात तो अब सामने आई है। हमने तो बीते साल मार्च में ही ऋण के गबन की शिकायत पुलिस से कर दी थी। पुलिस की जांच में जिला अभियोजन अधिकारी ने भी गबन की बात मानते हुए सीए पर एफआईआर दर्ज करने की टीप लिख दी थी। हमारी शिकायत पर अब हमें ही समन आ रहे हैं। मामले में हम एसएसपी को बीते सप्ताह ही शिकायत कर चुके हैं।


पुलिस जांच पर आपत्ति ली थी


 


मामले में सीए संजय सोढानी का कहना है कि मिनर्वा ऑटोमेटिव का ऋण हजम करने के लिए देवेंद्र शर्मा व कंपनी के निदेशक ही जिम्मेदार हैं। दोनों ने बैंक को प्लांट की मशीन आने की गलत जानकारी दी थी। मैंने पुलिस जांच पर आपत्ति ली थी क्योंकि जांच अधिकारी ने धमकी दी थी कि मैं आपको परेशान कर दूंगा। जीएसटी घोटाले में पति-पत्नी व कंपनी के लोग शामिल हैं। अखिलेश इंटरप्राइजेस के खाते में पैसा गया है। अखिलेश इंटरप्राइजेस भी कंपनी के डायरेक्टर रहे अवधेश जायसवाल से जुड़ी कंपनी है। बाद में रुपए देवेंद्र शर्मा, उनकी पत्नी व अवधेश जायसवाल के खाते में गए थे


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