पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक की है, जिसे सेना ने ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया है। यह कार्रवाई खुफिया एजेंसी रॉ के इनपुट पर की गई है।
सेना ने 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक इनमें जैश-ए-मोहम्मद के 4, लश्कर-ए-तैयबा के 3 और हिजबुल मुजाहिदीन के 2 आतंकी ठिकाने शामिल हैं।
जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर के हेडक्वार्टर तबाह
भारतीय सेना ने बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर रहे मरकज सुब्हान को निशाना बनाया है। बहावलपुर शहर जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का गढ़ है।
इसके साथ ही भारत ने मुरीदके शहर के उमालकुरा मस्जिद को भी निशाना बनाया है। मुरीदके को लश्कर-ए-तैयबा का अहम केंद्र माना जाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मुरीदके में ही लश्कर का मरकज-ए-तैयबा परिसर है, जहां आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा भारत ने मुजफ्फराबाद में बिलाल मस्जिद और कोटली में अब्बत मस्जिद को निशाना बनाया है।
1. मरकज सुब्हान अल्लाह, बहालपुर - जैश का हेडक्वार्टर
- मरकज सुब्हान अल्लाह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर शहर के बाहरी इलाके में मौजूद है। यहां युवाओं को प्रशिक्षित और ब्रेनवॉश किया जाता है। यह लगभग 15 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
- 14 फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले की प्लानिंग यही हुई थी। पुलवामा हमले के आतंकियों को इसी कैंप में प्रशिक्षण दिया गया था।
- इस मरकज में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर, मौलाना अम्मार और 600 से अधिक सदस्यों का घर है।
2. मरकज तैयबा, मुरीदके पंजाब- लश्कर का कैंप, लादेन ने फंडिंग दी थी
- पाकिस्तान में लश्कर का सबसे अहम ट्रेनिंग सेंटर
- स्थापना- 2000, एरिया- 82 एकड़
- ओसामा बिन लादेन ने 1 करोड़ रुपए की फंडिंग की थी। अजमल कसाब समेत 26/11 मुंबई हमले के सभी अपराधियों को यहां ट्रेनिंग मिली थी।
- यहां पाकिस्तान ही नहीं दूसरे देशों से आए आतंकियों को भी ट्रेनिंग मिलती है। लश्कर का मास्टरमाइंडर माने जाने वाले आमिर हमजा, अब्दुल रहमान आबिद और जफर इकबाल यहीं रहते हैं।
3. सरजाल, तहरा कलां फैसिलिटी, जैश की अहम लॉन्चिंग साइट
- इसी जगह से भारत-पाक सीमा के नीचे सुरंगों की खुदाई करवाई जाती हैं, जिनका इस्तेमाल आतंकियों की घुसपैठ के लिए होता है।
- यह सेंटर भारतीय सीमा (सांबा सेक्टर, जम्मू) से सिर्फ 6 किमी दूर है।
- यहां से ड्रोन के जरिए हथियार, गोला-बारूद और ड्रग्स भारत में गिराए जाते हैं।
- यह सेंटर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की आड़ में चलाया जाता है, जहां 20 से 25 आतंकी हमेशा तैनात होते हैं।
4. महमूना जोया, सियालकोट - हिजबुल मुजाहिद्दीन का ट्रेनिंग कैंप
- पंजाब (पाकिस्तान) में कोटली भुट्टा सरकारी अस्पताल के पास स्थित है।
- पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की मदद से स्थापना हुई।
- आतंकियों को भारत में घुसपैठ करने और हथियारों की तस्करी की ट्रेनिंग दी जाती है। यहां हिजबुल मुजाहिद्दीन और जैश-ए-मोहम्मद के लड़ाके ट्रेनिंग लेते हैं।
- मोहम्मद इरफान खान, अबू लाला, माज भाई और इरफान घुम्मन जैसे हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी यहां से ऑपरेट करते हैं। यहां आम तौर पर 25 से 30 आतंकी रहते हैं।
5. मरकज अहले हदीस, बरनाला (PoK) - लश्कर-ए-तैय्यबा का बड़ा अड्डा
- पुंछ, राजौरी, रियासी सेक्टर में आतंकियों और हथियारों की घुसपैठ के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। आतंकियों को भारत में घुसपैठ से पहले यहीं पर लाकर ठहराया जाता है।
- इस मरकज में 100–150 आतंकियों के रुकने की व्यवस्था है। आमतौर पर यहां 40–50 आतंकी रहते हैं।
- कासिम गुज्जर, कासिम खांडा, अनस जर्रार, खुबैब (मोहम्मद अमीन बट) यहां कई बार आ चुके हैं।
6. मरकज अब्बास, कोटली, जैश का प्रमुख सेंटर
- यह POK के कोटली शहर में मिलिट्री कैंप से 2 किमी दूर मौजूद है।
- इस इमारत में 100 से 125 जैश के कैडर के ठहरने की क्षमता है।
- हाफिज अब्दुल शकूर उर्फ कारी जर्रार इसका प्रमुख है। जर्रार जैश-ए-मोहम्मद की शूरा काउंसिल का सदस्य है।
- जर्रार को NIA ने 2016 में जम्मू के नगरोटा स्थित भारतीय सेना शिविर पर हमले के मामले में वांटेड बनाया है।
मस्कर राहील शाहिद, कोटली (PoK) - हिजबुल का ट्रेनिंग सेंटर
- सुनसान और पहाड़ी इलाके में है जहां सिर्फ कच्चे रास्ते से पहुंचा जा सकता है।
- यहां आतंकियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। स्नाइपर्स की स्पेशल ट्रेनिंग होती है।
- पहाड़ों में जंग लड़ने और सर्ववाइल ट्रेनिंग भी दी जाती है।
- इस कैंप में 150–200 आतंकी कैडर को रखने की व्यवस्था है। आमतौर पर यहां 25–30 आतंकी मौजूद रहते हैं।
- कैंप की निगरानी अबू माज करता है। इससे पहले हिजबुल मुजाहिद्दीन का चीफ सैयद सलाहुद्दीन खुद नए कैडर को ट्रेनिंग देता था।
- यहां आतंकियों के पोस्टर, वीडियो और तस्वीरें रखी हुई हैं, ताकि नए कैडर को कट्टरपंथी बनाया जा सके।
8. शावई नाला कैंप, मुजफ्फराबाद - लश्कर-ए-तैय्यबा
- यह कैंप चेला बांदी पुल, मुजफ्फराबाद-नीलम रोड (PoK) के पास स्थित है। इसे हुजैफा बिन यमन कैंप भी कहा जाता है।
- कैंप में फायरिंग रेंज, ट्रेनिंग ग्राउंड, LeT मदरसा, और लगभग 40 कमरे हैं।
- यहां 200–250 आतंकियों के रुकने की क्षमता है। आमतौर पर यहां 40 से 50 आतंकी रहते हैं।
- यहां दौरा-ए-आम नाम की बेसिक ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें लड़ाकों को फिजिकल ट्रेनिंग, GPS, नक्शा पढ़ना, हथियार (राइफल, ग्रेनेड) चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
- इस कैंप का चीफ अबू दुजाना है। कमर भाई ट्रेनिंग शेड्यूल देखता है। यहां पर हाफिज सईद भी नए लड़ाकों का स्वागत करने पहुंचता रहा है।
- यह कैंप स्टेजिंग सेंटर के रूप में भी कार्य करता है — यहां से आतंकियों को उत्तर कश्मीर के बॉर्डर इलाकों में भेजा जाता है।
9. सैयदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद - जैश-ए-मोहम्मद
- LoC के बहुत ज्यादा नजदीक होने के कारण रणनीतिक तौर पर अहम है।
- यह कैंप ट्रांजिट फैसिलिटी के रूप में कार्य करता है। यानी यहां से आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए रवाना किया जाता है।
- जैश-ए-मोहम्मद के 50 से 100 आतंकी रहते हैं।
- भारत में आने से पहले अंतिम पड़ाव के तौर पर इसका इस्तेमाल होता है।
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