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गुजरात में जीत, इंदौर में जश्न:इंदाैर के 6 नेताओं ने गुजरात की 65 सीटों पर दिन-रात किया था प्रचार, भाजपा ने 61 सीटों पर जीत हासिल की

  • शहर के जिन नेताओं ने पसीना बहाया, वहां 30 फीसदी से ज्यादा सीटाें पर लीड 50 हजार पार रही

गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की बंपर जीत इंदाैर के कुछ नेताओं के लिए अहम रही है। आधा दर्जन से ज्यादा नेताओं ने गुजरात की 65 सीटाें पर या ताे प्रचार किया या प्रभारी के ताैर पर जिम्मेदारी संभाली। खास बात यह है कि इनमें से भाजपा ने 61 सीटाें पर जीत दर्ज की। इनमें 30 फीसदी से ज्यादा सीटें ऐसी रहीं जिन पर 50 हजार से ज्यादा की लीड ली। 20 साल बाद भाजपा ने दाहोद जिले की सभी 6 सीटाें पर जीत दर्ज की। पार्टी की प्रदेश इकाई ने गुजरात के जातिगत समीकरणाें काे ध्यान में रखते हुए कुछ चुनिंदा नेताओं काे यह जिम्मेदारी सौंपी थी।

14 सीटों पर विजयवर्गीय ने किया प्रचार, 13 पर मिली कामयाबी

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय काे जूनागढ़ और आसपास के जिलों की 14 सीटाें पर प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी थी। इनमें से 13 भाजपा ने जीत ली। विजयवर्गीय का कहना है, अंतिम दाैर में माहाैल देखने लायक था।

हमने सिर्फ विकास के मुद्दाें पर बात की। गुजरात मॉडल पर चर्चा हुई। लाेगाें तक एक-एक याेजना काे पहुंचाया। स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं काे खासताैर पर हमने वाेटिंग के दिन की सक्रियता और जागरूकता के बारे में बताया। नतीजा, ज्यादातर सीटाें पर जीत का अंतर बड़ा रहा।

37 सीटों पर ढाई माह तक डटे रहे जिराती, 34 पर भाजपा जीती
शहर के कई नेताओं काे प्रदेश व केंद्रीय संगठन ने अलग-अलग इलाकाें में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी थी। इनमें प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती काे मध्य गुजरात की गाेधरा सहित 37 सीटाें का प्रभारी बनाया गया था। जिराती यहां अपनी पूरी टीम के साथ सितंबर से दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक डटे रहे।

सिर्फ दिवाली पर ही 5-6 दिन के लिए इंदाैर आए थे। जिराती ने बताया कि दाे सीटाें पर कांग्रेस और एक पर भाजपा के बागी जीते। बाकी सभी 34 सीटाें पर पार्टी काे बड़ी जीत मिली। स्थानीय नेताओं के साथ हमने रात 2 बजे तक जागकर काम किया।

लालवानी ने 8 सीटों पर संभाला था माेर्चा, सभी पर मिली सफलता

सांसद शंकर लालवानी ने भावनगर, मणिनगर, बड़ाैदा और अहमदाबाद में नरोडा क्षेत्र सहित सिंधी बहुल 8 सीटाें पर काम किया। पार्टी ने सभी सीटें जीत लीं। सिर्फ एक सीट को छाेड़कर 7 पर जीत का अंतर 50 हजार वोट से भी ज्यादा रहा। लालवानी बोले कि सिंधी बहुल क्षेत्र वाली सीटाें पर भाजपा के पक्ष में ऐसा माहाैल नजर आया, जैसा कि 2014 और 2019 के लाेकसभा चुनाव के वक्त दिखा था। किसी भी स्थान पर मतदाताओ‌ं ने विकास संबंधी काेई शिकायत दर्ज नहीं कराई।

अनंत 6 सीटों पर दाे माह डटे रहे, सिलावट ने भी यहीं प्रचार किया

अनंत पंवार के नेतृत्व में कुछ नेता दाे माह दाहोद में डटे रहे। यहां 20 साल बाद भाजपा ने सभी सीटाें पर जीत दर्ज की। प्रदेश उपाध्यक्ष नानूराम कुमावत यहीं एक सीट पर 65 दिन डटे रहे। 27 साल में दाहोद में भाजपा का ऐसा माहाैल पहली बार देखा।

जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी दाहोद की गडढ़ा विधानसभा में प्रचार के लिए गए थे। उन्होंने एससी बहुल क्षेत्र में प्रचार किया। चुनाव की तारीख का ऐलान होने से पहले विधायक रमेश मेंदाेला, निधन से पहले प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा सहित कुछ चुनिंदा नेताओं ने भी जिन सीटों का जिम्मा देखा था, वे सभी जीत लीं।

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