Header Ads Widget

Responsive Advertisement

अब हिंदी में भी होगी MBBS की पढ़ाई:क्या बाकी स्टूडेंट्स से पिछड़ जाएंगे ऐसे छात्र, जानें हर सवाल का जवाब

मध्यप्रदेश में मेडिकल के क्षेत्र में नया अध्याय जुड़ गया है। देश में पहली बार डॉक्टरी की पढ़ाई हिंदी में होगी। रविवार को भोपाल में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने MBBS फर्स्ट ईयर की तीन किताबों का विमोचन किया। हालांकि इसे लेकर डॉक्टरों और स्टूडेंट्स के मन में कई तरह के सवाल हैं। बता दें कि इन किताबों को 16 देशों की मेडिकल बुक्स के पब्लिशर ने बनाया है। किताबें तैयार करने वाले एल्जेवियर प्रकाशन के एजुकेशन कंसल्टेंट जितेन्द्र तिवारी से सभी सवालों को लेकर दैनिक भास्कर ने चर्चा की।

सवाल- हिंदी में डॉक्टरी की पढ़ाई का क्या असर होगा?

जवाब- दुनियाभर के देश मातृभाषा में मेडिकल की पढ़ाई कराते आ रहे हैं। भारत के गांवों में रहकर मातृभाषा हिंदी में पढ़ाई करने वालों को अंग्रेजी की समझ नहीं होती। प्रतिभावान होने के बाद भी वे डॉक्टर बनने से वंचित रह जाते हैं। इसी परेशानी को दूर करने के लिए हिंदी में अनुवादित किताबें तैयार की गई हैं। जिसे हिन्दी मीडियम के स्टूडेंट्स आसानी से समझकर अपना सपना पूरा कर सकेंगे। सबसे खास बात ये है कि इस ट्रांसलेशन प्रोसेस में किसी साइंटिफिकिट टर्मिनोलॉजी को नहीं छेड़ा गया है।

सवाल- दूसरे राज्यों से PG करने में दिक्कत होगी?

जवाब- ये कॉन्सेप्ट सेटिंग प्रोसेस है। हमारे गांव का हिंदी मीडियम से पढ़ा बच्चा जब मेडिकल कॉलेज में आता है, तो उसे थ्रू-आउट इंग्लिश में पढ़ाई करनी पड़ती है। उसके लिए बहुत मुश्किल होती है। इस ट्रांसलेट्रेशन प्रोसेस में मेडिकल के ओरिजिनल टर्म हैं, उन्हें वैसे ही लिखा है।

जवाब- क्वालिटी प्रभावित नहीं होगी। एल्जेवियर विश्व की सबसे बड़ी पब्लिशर कंपनी है। दुनिया के करीब 16 देशों में मेडिकल की बुक्स यही कंपनी प्रकाशित करती है। जो किताबें देश-विदेश के बच्चे पढ़ते हैं, उन्हें ही ज्यों का त्यों अनुवादित किया है। इसमें अंग्रेजी के मेडिकल टर्म को नहीं छेड़ा गया है। इस कारण क्वालिटी प्रभावित नहीं हुई।

सवाल- कई शब्दों के मायने बदले गए हैं, इससे समझने में दिक्कत होगी?

जवाब- किताबों में किसी भी टर्मिनोलॉजी को नहीं छेड़ा गया है। यदि अंग्रेजी शब्दों का अनुवाद करके हिंदी के शब्द लिखे होते, तो उसके मायने बदल जाते। जैसे- लिवर को यकृत नहीं लिखा गया है, ताकि अंग्रेजी और हिंदी में पढ़ने-समझने में दिक्कत न हो।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को भोपाल के लाल परेड मैदान में रिमोट का बटन दबाकर 3 किताबों का विमोचन किया। ये किताबें डॉक्टरों की टीम ने हिन्दी में तैयार की हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को भोपाल के लाल परेड मैदान में रिमोट का बटन दबाकर 3 किताबों का विमोचन किया। ये किताबें डॉक्टरों की टीम ने हिन्दी में तैयार की हैं।

सवाल- गैर हिंदी भाषी स्टूडेंट्स को भी हिंदी में पढ़ाया जाएगा?

जवाब- ये वैकल्पिक व्यवस्था है। ये सभी बच्चों के लिए जरूरी नहीं हैं, जो बच्चा जिस मीडियम से पढ़ना चाहता है, उसे उसी मीडियम से पढ़ाया जाएगा। हिंदी-अंग्रेजी दोनों मीडियम की किताबें उपलब्ध हैं।

सवाल- हिंदी में पढ़ने के लिए अलग से एडमिशन लेना पड़ेगा?

जवाब- बिल्कुल नहीं। जो नीट यूजी के एंट्रेंस हिंदी और अंग्रेजी के छात्र देते हैं। एंट्रेंस में हिंदी मीडियम का एग्जाम दो भाषाओं में लिखा होता है। हिंदी के स्टूडेंट्स हिंदी में प्रश्न पढ़कर उत्तर आसानी से हल कर पाते हैं, लेकिन यदि हिंदी के स्टूडेंट्स के सामने पूरा पेपर अंग्रेजी में हो, तो वह घबरा जाएगा। इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए अंग्रेजी की किताबों को हिंदी में अनुवादित कर तैयार किया गया है।

सवाल- स्टूडेंट्स दुनियाभर के मेडिकल फील्ड के नए अपडेट्स और जर्नल्स से अछूते रहेंगे?

जवाब- MBBS करने के दौरान छात्र मेडिकल टर्मिनोलॉजी को समझ जाएगा। ऐसा नहीं है कि हिंदी से पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स अंग्रेजी से पूरी तरह दूर रहेंगे। अंग्रेजी की किताबें हिंदी में अनुवादित की गई हैं। इनमें पढ़ाने वाले शिक्षक हिंदी में पढ़ाएंगे, समझाएंगे। ऐसे में कोई भी जर्नल छात्र को मिलेगा, उसे वह आसानी से पढ़ और समझ सकेगा।

सवाल- MBBS फाइनल ईयर की किताबें कब तक ट्रांसलेट हो जाएंगी?

जवाब- फर्स्ट ईयर की तीन किताबें छप गई हैं। सेकेंड ईयर की बुक्स का सिलेक्शन हो गया है। जल्द ही, MBBS कोर्स की सभी किताबों के ट्रांसलेशन का काम चालू हो जाएगा।

16 देशों में स्थानीय भाषा में पब्लिश कर चुके पब्लिशर ने बनाई किताबें

एल्जेवियर प्रकाशन दुनिया के करीब 16 देशों की स्थानीय भाषाओं में मेडिकल की किताबें प्रकाशित कर चुका है। पीएम नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर प्रदेश सरकार ने हिंदी में मेडिकल की किताबें तैयार करने के लिए प्रकाशकों से प्रस्ताव आमंत्रित किए। कई स्तर पर स्क्रूटनी के बाद एल्जेवियर प्रकाशन को अंग्रेजी की किताबों को हिंदी में तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया। इस फर्म ने दुनियाभर के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए किताबें तैयार की हैं।

यह भी पढ़ें...
देश में पहली बार मध्यप्रदेश में MBBS की पढ़ाई हिन्दी में होगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल में रविवार को इसकी 3 किताबों का विमोचन किया। उन्होंने कहा- ये क्षण देश में शिक्षा क्षेत्र के पुनर्निर्माण का क्षण है। सबसे पहले मेडिकल की शिक्षा हिन्दी में शुरू करके शिवराज सिंह ने मोदी जी की इच्छा पूरी की है। देशभर में 8 भाषाओं में पढ़ाई हो रही है। यूजी नीट देश की 22 भाषाओं में हो रही है। 10 राज्य इंजीनियरिंग की पढ़ाई मातृभाषा में करवा रहे हैं

यूक्रेन, रूस, जापान, चीन, किर्गिस्तान और फिलीपींस जैसे देशों की तरह अब भारत में भी मेडिकल की पढ़ाई मातृभाषा में होगी। देश में इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश से हो रही है



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ