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पीएम मोदी ने किया उज्जैन के महाकाल लोक का लोकार्पण:आकाश के स्वामी हैं तारकलिंग, पाताल के हाटकेश्वर और मृत्युलोक के स्वामी हैं महाकाल, जानिए महाकालेश्वर की 10 खास बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के महाकाल लोक का लोकार्पण किया। महाकाल मंदिर के आसापास 856 करोड़ रुपए की लागत से महाकाल लोक 2 फेज में बनाया जा रहा है। एक फेज पूरा हो गया और दूसरे फेज का काम अभी चल रहा है। भक्त महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए 946 मीटर लंबे कॉरिडोर से होते हुए गर्भ गृह तक पहुंचेंगे। भक्त पूरे कॉरिडोर में महाकाल के अलग-अलग स्वरूपों के दर्शन कर पाएंगे।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और शिवपुराण कथाकार पं. मनीष शर्मा से जानिए महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी खास बातें...

1. बाहर ज्योतिर्लिंगों में तीसरा है महाकालेश्वर मंदिर

देशभर में शिव जी 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जहां शिव जी ज्योति स्वरूप में विराजित हैं। सोमनाथ, मल्लिकार्जुन के बाद तीसरे नंबर पर महाकालेश्वर मंदिर आता है। ये मंदिर मध्य प्रदेश में इंदौर के पास उज्जैन में स्थित है। मंदिर से कुछ ही दूरी पर शिप्रा नदी बहती है।

2. मृत्युलोक के स्वामी हैं महाकाल

आकाशे तारकेलिंगम्, पाताले हाटकेश्वरम्। मृत्युलोके च महाकालम्, त्रयलिंगम् नमोस्तुते।। शिव जी के इस मंत्र के मुताबिक तीन लोक बताए गए हैं। आकाश, पाताल और मृत्यु लोक। आकाश लोक के स्वामी हैं तारकलिंग, पाताल के स्वामी हैं हाटकेश्वर और मृत्युलोक के स्वामी हैं महाकाल।

3. सिर्फ महाकालेश्वर मंदिर में होती है शिव जी की भस्म आरती

बारह ज्योतिर्लिंगों में सिर्फ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की ही भस्म आरती की जाती है। शिवपुराण के अनुसार कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बैर के पेड़ की लकडि़यों को जलाकर भस्म तैयार की जाती है। मंत्र-जप करते हुए भस्म को शुद्ध किया जाता है। इसके बाद इस भस्‍म को कपड़े से छानते हैं और फिर इस भस्म से महाकाल की आरती की जाती है।

4. एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है महाकालेश्वर

बाबा महाकाल का ज्योतिर्लिंग दक्षिण मुखी है। ये इस शिवलिंग की सबसे खास बात है। ये एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जिसका मुख दक्षिण दिशा में है।

5. मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित हैं नागचंद्रेश्वर प्रतिमा

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की इमारत में ऊपरी तल पर मराठाकालीन नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा है। इस प्रतिमा के दर्शन साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी पर ही होते हैं।

6. सावन-भादौ महीने में निकलती है महाकाल की सवारी

हर साल सावन महीने के सोमवार और भादौ महीने के एक पक्ष के सोमवार को महाकाल की सवारी निकलती है। बाबा महाकाल को चांदी की पालकी विराजित किया जाता है, इसके बाद बाबा की पालकी को शिप्रा नदी के घाट पर ले जाते हैं और वहां से उज्जैन का भ्रमण करते हुए बाबा पुन: अपने मंदिर लौट आते हैं।

7. काल यानी समय के स्वामी हैं महाकाल

महाकाल शब्द का एक अर्थ है महा+काल यानी समय के स्वामी। उज्जैन को कालगणना का केंद्र माना जाता है। इसी वजह से उज्जैन में बने पंचांगों का महत्व काफी है।

महाकाल मंदिर के आसापास 856 करोड़ रुपए की लागत से महाकाल लोक 2 फेज में बनाया जा रहा है। इसके दूसरे 2 फेज का काम अभी चल रहा है।
महाकाल मंदिर के आसापास 856 करोड़ रुपए की लागत से महाकाल लोक 2 फेज में बनाया जा रहा है। इसके दूसरे 2 फेज का काम अभी चल रहा है।

8. ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ हैं पास-पास

उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से कुछ ही दूरी पर माता हरसिद्धि का मंदिर है। हरसिद्धि मंदिर देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है। शिव और शक्ति के मंदिर पास-पास होने से इनका महत्व काफी अधिक है।

9. हजारों साल पुराना है मंदिर का इतिहास

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। मंदिर का संबंध उज्जैन के राजा विक्रमादित्य से भी है। विक्रमादित्य के नाम से ही विक्रम संवत चल रहा है। इस साल 2079 संवत् चल रहा है यानी 2079 पहले राजा विक्रमादित्य का शासन था। मान्यता है कि विक्रमादित्य ने मंदिर परिसर का विस्तार किया था।

10. श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली और ससुराल है उज्जैन

द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम उज्जैन के ऋषि सांदीपनि यहां शिक्षा ग्रहण करने आए थे। यहीं श्रीकृष्ण की मित्रता सुदामा से हुई थी। महाकालेश्वर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु सांदीपनि आश्रम के दर्शन भी जरूर करते हैं। उज्जैन श्रीकृष्ण का ससुराल भी है। श्रीकृष्ण की एक प्रमुख पटरानी मित्रवृंदा उज्जैन की राजकुमारी थीं।

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