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मुफ्त शिक्षा देने की अलख:बच्चों को कचरा बीनते हुए देखकर पांच महिलाओं ने शुरू किया स्कूल, हर साल 160 बच्चों को फ्री पढ़ाने के साथ देती हैं स्टेशनरी

संस्था के सदस्य भी लेते हैं बच्चों की क्लास - Dainik Bhaskar

संस्था के सदस्य भी लेते हैं बच्चों की क्लास
  • 1931 में शुरू हुआ था संगठन, यहां बच्चों को पढ़ाने के साथ भारतीय संस्कृति की भी दी जाती है शिक्षा
  • 5 सदस्यों से शुरू हुई इस संस्था में धीरे-धीरे महिलाएं जुड़ती गईं और सदस्य संख्या 5 हजार तक पहुंच गई

महिलाओं का एक संगठन जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की अलख जगा रहा है। संगठन का नाम है सरस्वती संघ, जिसकी बुनियाद 1931 में इंदिरा बाई भागवत ने चार अन्य महिलाओं के साथ उन बच्चों को पढ़ाने के उद्देश्य से की थी, जो सड़कों पर कचरा बीनने या दुकानों पर छोटा-मोटा काम करने की वजह से शिक्षा से वंचित थे। वर्तमान में इस संस्था से 5 हजार महिलाएं जुड़ीं हैं, जो 160 बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाती हैं। संस्था का खुद का भवन जयेंद्रगंज में हैं।

इसमें ही विद्यालय का संचालन किया जाता है। संस्था से जुड़ीं महिलाएं इन बच्चों को पढ़ाने का भी कार्य करती हैं। अवकाश के दिनों में जब स्कूल का संचालन नहीं होता है तब इस भवन को सामाजिक कार्यक्रमों के लिए किराए पर देने से जो आय होती है उसे भी बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर खर्च किया जाता है। संस्था की अध्यक्ष प्रतिभा भागवत का कहना है कि मेरी दादी सास ने ( इंदिरा बाई भागवत) ने 1931 में जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने का जो सपना देखा था, संस्था उसे पूरा करने का प्रयास कर रही है। हमारा उद्देश्य अब इस तरह के विद्यालय अलग-अलग क्षेत्र में खोलने का है, जिससे साधनोंं के अभाव में पलने वाले ज्यादा से ज्यादा बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिल सके और वे अपना भविष्य सुधार सकें।

संस्था के सदस्य भी लेते हैं बच्चों की क्लास

संस्था की सचिव आशा बैजल ने बताया कि स्कूल व संस्था का खर्च सामाजिक योगदान, सदस्यों की निजी राशि और संघ के हॉल के किराए से मिलने वाली आमदनी से होता है। इससे स्कूल की मरम्मत, बच्चों को स्टेशनरी, यूनिफॉर्म, शिक्षकों के वेतन आदि का खर्च निकाला जाता है। स्कूल सुबह 8 से दोपहर 12 बजे तक चलता है। इसमें संस्था के सदस्य भी आर्ट एंड क्राफ्ट, मोटिवेशनल क्लासेस, म्यूजिक और डांस क्लासेस का आयोजन करते हैं। जो बच्चे बेहतर प्रस्तुति देते हैं, उन्हें पुरस्कार दिया जाता है।

जुड़तीं गईं महिलाएं, आज 5 हजार हुईं

5 सदस्यों से शुरू हुई इस संस्था में धीरे-धीरे महिलाएं जुड़ती गईं और सदस्य संख्या 5 हजार तक पहुंच गई। सदस्यों को जोड़ने के लिए संस्थापकों में शामिल गंगाबाई भागवात, शारदा बाई, विमल आपटे, मंगला आकाशे ने समाज के बीच जाकर पौधरोपण, मेडिकल कैंप, गरीब और अनाथ युवतियों की शादी, जरूरतमंद लोगों को भोजन वितरण, राशन किट, फर्स्ट एड किट वितरण कार्य कर लोगों को अपने साथ जोड़ा। इनमें ज्यादातर मराठी समाज से जुड़ी महिलाएं हैं। है। संस्था की सदस्यों के लिए स्थापना दिवस के अलावा समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इनमें नृत्य, संगीत, साहित्यिक, सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं और गणेशोत्सव पर होने वाला तीन से चार दिवसीय आयोजन भी शामिल है।

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