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IPC बैंक घोटाले में अब होगी कार्रवाई:आरोपी 10 साल तक प्रभारी प्रबंधक बन करता रहा काम, बैंक के पूर्व सीईओ एसके खरे के खिलाफ भी विभागीय जांच के आदेश

किसानों के नाम फर्जी दस्तावेज बनाकर इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक से लोन लेकर 2 करोड़ का गबन करने के मामले में 10 साल बाद अब प्रशासन कार्रवाई करेगा। उक्त शाखा प्रबंधक बने सिंह गबन के समय अधीनस्थ अधिकारी था। स्टाफ की कमी के चलते बैंक प्रबंधन ने उसे शाखा प्रबंधक बना दिया।

कलेक्टर मनीष सिंह ने उसके खिलाफ विभागीय जांच के साथ एफआईआर करवाने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने आईपीसी बैंक के पूर्व सीईओ एसके खरे के खिलाफ भी विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। बुधवार को कलेक्टर ने बैंक की समीक्षा बैठक ली थी। बैठक में 19 शाखाओं के प्रतिनिधि शामिल थे। बैठक में कलेक्टर शिप्रा प्रतिनिधि पर भड़क गए। शिप्रा में इस बार मांग के मुताबिक वसूली कम की गई।

कलेक्टर ने महू के ग्राम दतौदा शाखा में घोटाले की जानकारी सामने आने पर उप पंजीयक सहकारिता मदन गजभिये से पूछताछ की। यह तथ्य भी सामने आया कि बने सिंह नामक व्यक्ति ने इस काम को अंजाम दिया था। अब वह सेवानिवृत्त हो चुका है। उस समय के समिति अध्यक्ष, सचिव के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए कलेक्टर ने जांच के लिए कहा।

कुछ बड़े किसान लोन लेकर चुका नहीं रहे, अब उनसे भी की जाएगी वसूली

माचल के पास स्थित गांव के शाखा प्रबंधक ने बताया कि कुछ बड़े किसान लोन लेकर राशि नहीं चुका रहे हैं। इसमें भारत सिंह दरबार का नाम भी बताया जिस पर 2 करोड़ से ज्यादा बकाया है। कलेक्टर ने तहसीलदार को फोन कर तत्काल वसूली के लिए कहा।

शिप्रा में हुई सबसे कम वसूली

गजभिये ने बताया कि शिप्रा शाखा में पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष कम वसूली हुई है। पिछले साल 68.93 प्रतिशत वसूली की गई थी, लेकिन इस साल वसूली का प्रतिशत 63.36 रहा। महू, मानपुर और दतौदा शाखा में अच्छा काम हुआ। महू में 20.43, मानपुर में 7.82 और दतोदा में 16.34 प्रतिशत अधिक वसूली हुई।

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