जब किसी व्यक्ति को फेफड़े का कैंसर होता है, तो उसकी समाज और देश की अर्थव्यवस्था को क्या कीमत चुकाना पड़ती है, यह पता लगाने के उद्देश्य से आईआईएम इंदौर द्वारा फार्मा कंपनी एस्ट्रा जेनेका के साथ मिलकर शोध किया जा रहा है। शोध के लिए एस्ट्रा जेनेका द्वारा 40 लाख रुपए की ग्रांट आईआईएम इंदौर को दी जाएगी।
आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमांशु राय, प्रो. सायंतन बैनर्जी और प्रो. स्नेह थपलियाल द्वारा यह शोध कार्य किया जा रहा है। यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि फेफड़े के कैंसर का जल्दी पता क्यों नहीं लग पाता और क्या करने से इसकी जल्दी जांच हो सकती है। शोधकार्य पांच महीने चलेगा। इसमें यह भी पता लगाएंगे कि जो कीमत समाज और देश की अर्थव्यवस्था को चुकाना पड़ती है, उसे कैसे कम किया जा सकता है।
प्रो. राय ने बताया कि कैंसर से पीड़ित व्यक्ति से ज्यादा उसका परिवार पीड़ा उठाता है। यह पता होते हुए भी कि व्यक्ति का बचना मुश्किल है, परिवार अपनी सारी पूंजी इलाज में लगा देता है और आखिरी समय तक यही सिलसिला चलता रहता है। इसके चलते कई परिवार सड़कों पर भी आ गए हैं।
कैंसर की सही समय पर जांच हो, इसके लिए सरकार को देंगे सुझाव
शोध के तीन उद्देश्य हैं- पहला कैंसर को लेकर जागरूकता, दूसरा कैंसर के कारण कितनी कीमत चुकाना पड़ रही, यह पता लगाना और तीसरा इसे लेकर सरकार को सुझाव देना कि यह समस्या कैसे सुलझाई जा सकती है। शोध की रिपोर्ट एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी देंगे, जिससे वे लोगों में इसे लेकर जागरूकता फैला सकें और लोगों की मदद कर सकें।
सरकार को भी कुछ ऐसे सुझाव दिए जाएंगे, जिससे कैंसर की सही समय पर जांच हो सके और इलाज समय रहते शुरू हो सके, ताकि आगे चलकर इसकी बड़ी कीमत न चुकाना पड़े। शोधकर्ताओं द्वारा 100 से अधिक कैंसर पीड़ित व्यक्तियों व उनके परिजन से बात कर उनसे उनके अनुभवों के बारे में पूछा जाएगा।
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