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हिन्दी पंचांग:चैत्र मास से शुरू होता है नवसंवत, इसी माह में विष्णु ने लिया था मत्स्य अवतार, जानिए चैत्र की खास बातें

हिन्दी पंचांग का पहला माह चैत्र शुरू हो गया है। इस माह में नवसंवत् शुरू होता है, चैत्र नवरात्रि, राम नवमी मनाई जाती है। अब गर्मी बढ़ने लगेगी इस वजह से चैत्र माह में खान-पान और जीवन शैली के संबंध में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। जानिए चैत्र माह से जुड़ी खास बातें...

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक चैत्र मास में शीतला माता के लिए व्रत किया जाता है। इस व्रत में ठंडा खाना खाने की परंपरा है। ये समय शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इस दौरान मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। शीतला सप्तमी (24 मार्च) और अष्टमी (25 मार्च) पर ठंडा खाना खाने से मौसमी बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।

चैत्र की अमावस्या 31 मार्च और 1 अप्रैल को रहेगी। 1 अप्रैल को संवत् 2078 खत्म हो जाएगा। ये संवत् का अंतिम दिन रहेगा। इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। 3 अप्रैल को मत्स्य अवतार जयंती है। ये भगवान विष्णु का पहला अवतार था। जब जल प्रलय आया था, तब विष्णु जी ने मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि को बचाया था। मत्स्य अवतार लेकर विष्णु जी राजा मनु का अहंकार भी तोड़ा था।

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि (2 अप्रैल) शुरू होगी। इसी दिन से नवसंवत् 2079 शुरू होगा। इसी दिन गुड़ी पड़वा है। चैत्र नवरात्रि में किए गए व्रत उपवास से मौसमी से लड़ने की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। चैत्र नवरात्रि में अन्न का त्याग करना चाहिए और अधिक से अधिक फलों का, दूध का सेवन करना चाहिए। काफी लोग चैत्र नवरात्रि में नीम का सेवन भी करते हैं।

10 अप्रैल को श्रीराम नवमी है। त्रेतायुग में इसी तिथि पर श्रीराम का राजा दशरथ के यहां जन्म हुआ था। इसके बाद 16 अप्रैल को पूर्णिमा है और इस दिन हनुमान जी का प्रकटउत्सव मनाया जाएगा। श्रीराम विष्णु जी के और हनुमान जी शिव जी के अवतार माने जाते हैं। इन तिथियों पर श्रीराम चरित मानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।


हिन्दी पंचांग का पहला माह चैत्र शुरू हो गया है। इस माह में नवसंवत् शुरू होता है, चैत्र नवरात्रि, राम नवमी मनाई जाती है। अब गर्मी बढ़ने लगेगी इस वजह से चैत्र माह में खान-पान और जीवन शैली के संबंध में विशेष सावधानी रखनी चाहिए। जानिए चैत्र माह से जुड़ी खास बातें...

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक चैत्र मास में शीतला माता के लिए व्रत किया जाता है। इस व्रत में ठंडा खाना खाने की परंपरा है। ये समय शीत ऋतु के जाने का और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इस दौरान मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। शीतला सप्तमी (24 मार्च) और अष्टमी (25 मार्च) पर ठंडा खाना खाने से मौसमी बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।

चैत्र की अमावस्या 31 मार्च और 1 अप्रैल को रहेगी। 1 अप्रैल को संवत् 2078 खत्म हो जाएगा। ये संवत् का अंतिम दिन रहेगा। इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। 3 अप्रैल को मत्स्य अवतार जयंती है। ये भगवान विष्णु का पहला अवतार था। जब जल प्रलय आया था, तब विष्णु जी ने मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि को बचाया था। मत्स्य अवतार लेकर विष्णु जी राजा मनु का अहंकार भी तोड़ा था।

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि (2 अप्रैल) शुरू होगी। इसी दिन से नवसंवत् 2079 शुरू होगा। इसी दिन गुड़ी पड़वा है। चैत्र नवरात्रि में किए गए व्रत उपवास से मौसमी से लड़ने की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। चैत्र नवरात्रि में अन्न का त्याग करना चाहिए और अधिक से अधिक फलों का, दूध का सेवन करना चाहिए। काफी लोग चैत्र नवरात्रि में नीम का सेवन भी करते हैं।

10 अप्रैल को श्रीराम नवमी है। त्रेतायुग में इसी तिथि पर श्रीराम का राजा दशरथ के यहां जन्म हुआ था। इसके बाद 16 अप्रैल को पूर्णिमा है और इस दिन हनुमान जी का प्रकटउत्सव मनाया जाएगा। श्रीराम विष्णु जी के और हनुमान जी शिव जी के अवतार माने जाते हैं। इन तिथियों पर श्रीराम चरित मानस, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

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