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आलोचना में छिपा सच और प्रशंसा में छिपा झूठ समझ लिया जाए तो कई समस्याएं आसानी से खत्म हो जाती हैं

निंदा करने वाले लोग हमारे आसपास रहेंगे तो हम अपनी गलतियों समझकर उन्हें सुधार कर सकते हैं। आलोचनाओं को सकारात्मक सोच के साथ स्वीकार करना चाहिए और उन्हें छिपी सही बातों को समझना चाहिए, तभी हमें बेहतर इंसान बन सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति हमारी प्रशंसा कर रहा है तो उसमें सच्चाई कितनी है, ये भी जरूर परखें।

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