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कब पूरा होगा कायाकल्प?:इंदौर शहर का गौरव राजबाड़ा 5 साल में भी लोहे की जंजीरों से नहीं हो पाया मुक्त, दुर्दशा के साक्षी बने 5 लाख लोग

2017 से चल रहा है ऐतिहासिक धरोहर का जीर्णोद्धार। - Dainik Bhaskar

2017 से चल रहा है ऐतिहासिक धरोहर का जीर्णोद्धार।

विकास कामों को लेकर हमारे अफसर कितने लापरवाह हैं, इसका एक उदाहरण राजबाड़ा है। राजबाड़ा के जीर्णोद्धार का काम 2017 से चल रहा है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है। जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति की फरवरी 2021 में हुई बैठक में कहा गया था कि काम समय पर पूरा हो जाना चाहिए। तब अफसरों ने 105 दिन यानी करीब साढ़े तीन महीने का वक्त मांगा था।

जब यह डेडलाइन बीत गई तो कहा कि कोरोना की वजह से काम लेट हुआ। मार्च 2022 के दूसरे सप्ताह में फिर बैठक हुई। सांसद शंकर लालवानी और कलेक्टर मनीष सिंह ने काम की नई डेडलाइन पूछी। सांसद ने स्मार्ट सिटी सीईओ को कहा कि पांच साल बाद भी काम पूरा क्यों नहीं हुआ। राजबाड़ा के आसपास लोहे का स्ट्रक्चर लगा होने से शहर की छवि खराब होती है।

बहानों में उलझे अफसर, कभी कोविड में मजदूर नहीं मिले, तो कभी इंजीनियर आने में देरी हुई

इस मामले में स्मार्ट सिटी के सीईओ ऋषव गुप्ता ने कहा कि हेरिटेज कंजर्वेशन में विशेष तकनीक और कार्ययोजना की आवश्यकता होती है। इस कारण यह काम समय पर पूरा नहीं किया जा सका। जून तक काम पूरा होना था, लेकिन मार्च में काेविड की दूसरी लहर के कारण कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन के कारण देरी हुई। मजदूर आवश्यकतानुसार नहीं मिले।

कोशिश करते तो पिछले साल पूरा हो जाता काम

कोविड की दूसरी लहर का असर तीन महीने रहा। यदि सितंबर में भी काम शुरू होता तो दिसंबर तक चार महीने में काम पूरा हो जाता। अब फिर चार महीने मांगे गए हैं। इसी तरह वीर सावरकर मार्केट और खजूरी बाजार में पार्किंग का काम भी देरी से चल रहा है। अफसर इसका भी कोई जवाब नहीं दे पाए।

मंडियों में नहीं लग पाए अलग स्टॉल

  • यह होना था- जैविक खेती करने वाले किसानों को जैविक खेती का प्रमाणीकरण करने में परेशानी आती है। उप संचालक को कहा गया था कि प्रमाणीकरण की व्यवस्था करवाएं। सब्जी मंडियों में अलग से स्टॉल लगाने की सुविधा हो।
  • यह हुआ- ब्लॉक स्तर पर सिर्फ डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए। विभाग का दावा चोइथराम सब्जी मंडी में स्थान सुरक्षित किया गया। हालांकि मौके पर ऐसी कोई जगह तय नहीं।
  • यह होना था- पीएम रोजगार सृजन योजना में ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं की भागीदारी कम है। ग्राम पंचायतों को जागरूक किया जाए।
  • यह हुआ- सिर्फ 10 हितग्राही को लाभ दिया।
  • यह होना था- हुकमचंद पॉली क्लिनिक में नि:शुल्क डायलिसिस होता है। यहां 12 से 15 लोगों का ही उपचार होता है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए। शासन को प्रस्ताव भेजा जाए।
  • यह हुआ- प्रस्ताव तो नहीं भेजा। यह जरूर बताया कि वहां मशीनें बढ़ाई हैं। इससे 30 मरीजों का डायलिसिस हर दिन किया जा रहा है। रेडक्रॉस के माध्यम से सेंटर बढ़ाए जा रहे हैं। हालांकि इसका कोई आंकड़ा नहीं बताया गया।

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