इस साल अप्रैल ज्योतिष के नजरिए बहुत खास रहने वाला है। इस महीने में राहु-केतु करीब 18 महीनों के बाद राशि बदल रहे हैं। ये राशि परिवर्तन 11 अप्रैल को होगा। राहु मेष में और केतु तुला राशि में प्रवेश करेगा। ये दोनों ही ग्रह हमेशा वक्री रहते हैं, यानी उल्टे चलते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार 2022 से 18 साल पहले राहु-केतु मेष-तुला राशि में थे। मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है, मंगल और राहु एक-दूसरे के शत्रु माने जाते हैं। तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। केतु और शुक्र, ये दोनों ग्रह समभाव माने जाते हैं। राहु-केतु एक राशि करीब 18 माह रहते हैं। राहु-केतु को छाया ग्रह माना जाता है। इनकी कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। समुद्र मंथन के समय राहु ने अमृत पी लिया था। तब विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था, लेकिन राहु ने अमृत पी लिया था इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। राहु सिर और केतु को धड़ माना जाता है।
राहु-केतु का ऐसा हो सकता है असर
राहु के मेष राशि में जाने से देश-दुनिया में प्राकृतिक प्रकोप आने के योग बन सकते हैं। गर्मी की बढ़ोतरी होगी और वर्षा में कम आ सकती है। राजनीति के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। जनता में तनाव बढ़ सकता है। केतु के तुला में होने से झूठी बातें ज्यादा तेजी से फैलेंगी। जनता को त्वचा रोगों का सामना करना पड़ सकता है। किसानों की फसलों पर टिड्डियों और अन्य कीटों का आक्रमण हो सकता है। किसानों को अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी।
ऐसा हो सकता है सभी 12 राशियों पर असर
राहु-केतु की वजह से मेष, कर्क, कन्या, मकर राशि के लोगों को अतिरिक्त सतर्कता के साथ काम करना होगा, वर्ना हानि हो सकती है। वृष, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ राशि के लोगों के लिए समय लाभदायक रह सकता है। इन लोगों को धन लाभ के साथ ही मान-सम्मान मिल सकता है। मिथुन और मीन राशि के लिए समय सामान्य रह सकता है। इन लोगों को मेहनत के अनुसार मिलता रहेगा।
इन ग्रहों के अशुभ असर से बचने के लिए राहु-केतु के साथ ही भैरव महाराज और शनि देव की पूजा करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों को काले कंबल और जूते-चप्पल का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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