पिछले 10 साल से शहर में हार्ट संबंधी मरीजों की संख्या में 15 फीसदी इजाफा हुआ है। यह चिंताजनक है। हार्ट संबंधी बीमारियों का उम्र से कोई संबंध नहीं है। अब तो यूथ्स भी इसके शिकार हो रहे हैं। 20 साल तक के युवाओं की हार्ट सर्जरी हो रही है। स्थिति यह है कि 15 फीसदी हार्ट संबंधी मरीजों में 3 फीसदी युवा हैं। खाने-पीने में लापरवाही बरतने व समय पर हार्ट संबंधी तकलीफों के लक्षणों को नजरअंदाज करने से स्थितियां घातक भी हो रही हैं और कई बार मौत हो जाती है।
इसमें युवाओं की संख्या भी बढ़ रही है, इससे कैसे बचा जाए, क्या एहतियात रखना चाहिए? एक्सपर्टस का कहना है कि हार्ट डिसीज का उम्र से कोई संबंध नहीं है। अब तो युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं। उनकी बदलती लाइफस्टाइल व लापरवाही ही इसके खास कारण हैं। हार्ट डिसीज के लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। देर होने या लापरवाही बरतने पर जान भी जा सकती है।
हार्ट डिसीज एक्सपर्टस के मुताबिक जिस तरह से ब्लड प्रेशर और हार्ट डिसीज के मरीज बढ़ रहे हैं, स्कूलों में जागरुकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है जिससे आने वाली पीढ़ियां स्वस्थ रहेंगी। युवाओं के लिए अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की मौत का केस एक उदाहरण है। एक रात पहले उन्हें हार्ट अटैक संबंधी लक्षण थे लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (इंदौर) के अध्यक्ष डॉ. सुमित शुक्ला के मुताबिक हार्ट डिसीज के बढ़ते मरीज गंभीर मामला है। 29 सितम्बर को ‘वर्ल्ड हार्ट डे’ पर इसे लेकर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एक सेमिनार रखा गया है जिसमें कई डॉक्टर्स शामिल होंगे।
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