Header Ads Widget

Responsive Advertisement

जीवन मंत्र:बड़े संकट के समय परमात्मा का ध्यान करें और सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ें

 

कहानी - स्वामी विवेकानंद विदेश यात्रा पर थे। एक दिन वे अपने कुछ अंग्रेज साथियों के साथ जंगल में घूम रहे थे। उनके साथ मूलर नाम की एक महिला भी थी। ये लोग जंगल में आगे बढ़ रहे थे, तभी सामने से एक बलवान सांड दौड़ता हुआ आ रहा था।

सांड को देखकर अंग्रेज समझ गए कि खतरा है तो वे सभी दौड़कर एक छोटी सी पहाड़ी के पीछे छिप गए, लेकिन भागते समय वह महिला गिर गई। अब विवेकानंद न तो भाग सकते थे और न ही महिला को उठा सकते थे। समय कम था। सांड बहुत करीब आ चुका था।

स्वामी जी महिला के आगे जाकर खड़े हो गए। उन्होंने दोनों हाथ कमर पर रखे और आंखें खोलकर सांड की आंखों में देखने लगे। जब सांड बिल्कुल नजदीक आ गया तो विवेकानंद जी ने आंखें बंद कीं। महिला तो आंखें बंद करके सोच ही चुकी थी कि इनकी भी मृत्यु तय है और मेरी भी, लेकिन कुछ पलों के बाद सभी को आश्चर्य हुआ कि सांड रुका और पलटकर वापस चला गया।

सभी अंग्रेज लज्जित होने लगे कि स्वामी जी और महिला को संकट में अकेले छोड़कर हम भाग गए। मूलर ने स्वामी जी से पूछा, 'ऐसा आपने क्या किया कि सांड लौट गया?'

विवेकानंद ने कहा, 'मैं जानता हूं, मुझमें उस सांड से उलझने की शारीरिक क्षमता नहीं है, लेकिन जीवन में जब मृत्यु समान खतरा अंतिम स्थिति में हो और हमारे पास कोई विकल्प न हो तो अपनी सारी श्रद्धा भगवान से जोड़ देनी चाहिए। परमात्मा की कृपा से हमारे शरीर की ऊर्जा बहुत तेजस्वी हो जाती है। जिसके प्रभाव से हालात बदल सकते हैं। मैंने यही प्रयोग किया। अब इसे भगवान की कृपा कहें या उस ऊर्जा का प्रभाव, सांड को लौटकर जाना पड़ा।'

सीख - जीवन में कुछ स्थितियां ऐसी आती हैं जो अंतिम समय की तरह होती हैं। ऐसे हालात में भगवान को याद करें और सकारात्मक रहें। अपनी पूरी ऊर्जा हालात का सामना करने में लगा दें। ऐसा करने से लाभ मिल सकता है।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ