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महामारी में भी बदहाल सरकारी अस्पताल:छह माह में बनाने का दावा था, तीन साल में जिला अस्पताल के नाम पर बना सिर्फ ‘चबूतरा’

 

योजनाएं बनकर अटक गईं, सितंबर में दाेबारा टेंडर हुए तो कोरोना ने काम रोका - Dainik Bhaskar
योजनाएं बनकर अटक गईं, सितंबर में दाेबारा टेंडर हुए तो कोरोना ने काम रोका

महामारी के बीच भी सरकारी स्वास्थ्य सेवओं में कोई बदलाव नहीं आया है। प्रदेश के 60 जिलों में से इंदौर इकलौता है, जहां इस महामारी में भी 300 बेड की क्षमता का जिला अस्पताल तीन साल से जमींदोंज है, जिम्मेदार अब तक इसकी नींव को भी उपर नहीं ला पाए। जिले के कई स्वास्थ्य केंद्र और उपस्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जहां इमारत तो लाखों में बनी है, लेकिन गेट पर लगा ताला सिस्टम को मुंह चिढ़ा रहा है। भास्कर ने सरकारी अस्पतालों का ऑडिट किया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। कोरोनाकाल में डेढ़ लाख से ज्यादा संक्रमित हुए। 55 हजार मरीजों ने अस्पतालों में इलाज लिया। लेकिन इनमें से मात्र 10 हजार मरीजों ने ही सरकारी अस्पतालों पर भरोसा किया।

जिला अस्पताल -योजनाएं बनकर अटक गईं, सितंबर में दाेबारा टेंडर हुए तो कोरोना ने काम रोका

आठ लाख से ज्यादा लोगों के इलाज का सहारा जिला अस्पताल सरकारी नाकामी का बड़ा उदाहरण है। 2018 में जब भूमिपूजन हुआ तो दावा था कि छह महीने में नई इमारत बना देंगे। 54 करोड़ रु. मंजूर भी हो गए। तब से अब तक कई बार योजनाएं बनीं, लेकिन अटक गईं। सिंतबर 2020 में फिर टेंडर हुए। अब कोरोना ने काम रोक दिया।

अलवासा, उप स्वास्थ्य केंद्र -10 साल में बना 10 लाख की लागत से, भवन पर डले हैं ताले, कपड़े सूख रहे

सांवेर विधानसभा के ग्राम अलवासा में पहले तो कोई अस्पताल नहीं था। 10 साल में 10 लाख की लागत से उपस्वास्थ केंद्र तो बन गया, लेकिन फिलहाल कपड़े सूख रहे हैं। अस्पताल के दोनों गेट पर ताला था। ग्रामीणों ने बताया कि डॉक्टर आती है, लेकिन जब वैक्सीन लगती है तब। अभी तो कई दिनों से कोई नहीं आया।

राम बड़ोदिया, उप स्वास्थ्य केंद्र -खाली बिल्डिंग में होती है शराबखोरी इलाज के लिए बेटमा जाते हैं ग्रामीण

देपालपुर तहसील में है ग्राम राम बड़ोदिया। करीब एक हजार की आबादी के लिए यहां अस्पताल की बिल्डिंग तो बन चुकी है, लेकिन डॉक्टर और संसाधनों का इंतजार है। क्षेत्रीय विधायक विशाल पटेल कहते हैं कि यहां शराबखोरी होती है। रहवासी प्रह्लाद चौधरी का कहना है कि अभी तो इलाज के लिए बेटमा जाना पड़ता है।

सिस्टम सुधार रहे हैं, पद भी भरेंगे

सिस्टम में सुधार आया है। सरकारी अस्पतालों में नियुक्तियां जारी है। संविदा, और एनआरएचएम के जरिये इलाज उपलब्ध करवा रहे हैं। इंदौर जिला अस्पताल का काम तकनीकी दिक्कतों से बंद था। अब शुरू करवाया जा रहा है। - तुलसी सिलावट, कोविड प्रभारी मंत्री

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