- अमेरिका के रोह्ड आइलैंड हॉस्पिटल और ब्राउन यूनिवर्सिटी ने विकसित की जांच
- दुनियाभर की 25 फीसदी से अधिक आबादी एनीमिया से जूझ रही है
वैज्ञानिकों ने एनीमिया की जांच करने का नया तरीका बताया है। वैज्ञानिकों का कहना है, स्मार्टफोन की मदद से आंखों के सबसे निचले हिस्से की फोटो खींचकर एनीमिया का पता लगा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जो पलकों के पीछे आंखों के निचले हिस्से की फोटो की एनालिसिस करता है। जांच के बाद बताता है कि इंसान एनीमिया से पीड़ित है या नहीं। यह रिसर्च ब्राउन यूनिवर्सिटी और अमेरिका के रोह्ड आइलैंड हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने मिलकर की है।
ऐसे होगी एनीमिया की जांच
शोधकर्ताओं का कहना है, जिस तकनीक से फोटो की जांच की जा रही है, इसे एक ऐप में बदला सकता है। ऐसा करने के बाद इंसान को अपनी आंखों की फोटो खींचनी होगी। इसके बाद ऐप पर फोटो अपलोड करना होगा। ऐप फोटो की जांच करके एनीमिया पर रिपोर्ट देगी। जांच का नया तरीका सभी के लिए उपलब्ध होने के बाद एनीमिया की जांच के लिए ब्लड टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी।
क्या है एनीमिया
एनीमिया की स्थिति तब बनती है जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) की संख्या कम हो जाती हैं। लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन पाया जाता है और यह ऑक्सीजन को सर्कुलेट करने का काम करती है। शरीर में हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन की कमी होने पर स्किन पीली दिखने लगती है। यही एनीमिया का सबसे बड़ा लक्षण होता है। दुनियाभर की 25 फीसदी से अधिक आबादी एनीमिया से जूझ रही है।
नहीं सहना पड़ेगा दर्द
शोधकर्ता डॉ. सेलिम सुनेर का कहना है, आम भाषा में एनीमिया का मतलब है शरीर में हीमोग्लोबिन का कम हो जाना। दुनिया की एक बड़ी आबादी इससे जूझ रही है। एनीमिया से भी मौत का खतरा बढ़ता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गोँ और गंभीर मरीजों में। यह तरीका इसलिए भी खास है क्योंकि ब्लड सैम्पल देने के लिए मरीजों को दर्द नहीं सहना पड़ता।
इससे पहले हुई रिसर्च में भी यह साबित हुआ था कि हाथों के नाखून और हथेली के मुकाबले आंखों की जांच करना एनीमिया पता लगाने का सटीक विकल्प है।
ऐसे पता लगाया गया
हाथों से एनीमिया पता लगाने का अनुभव जानने के बाद वैज्ञानिकों ने स्मार्टफोन से 142 मरीजों के आंखों की तस्वीरें लीं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एल्गोरिदिम की मदद से आंखों के रंग की गहराई से जांच की गई। तस्वीर के हर एक पिक्सल के कलर टोन को जांचा गया। इसके अलावा 202 एनीमिया के मरीजों की जांच भी इसी मॉडल से की गई। इनमें से 72 फीसदी मरीजों में एनीमिया की पुष्टि भी नई जांच के जरिए की गई।
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